श्रीकृष्ण कथा के दूसरे दिन भक्त मीराबाई प्रसंग

पंचकूला- श्रीदेवीवती दुर्गा मंदिर अमरावती अपार्टमेंट बद्दी द्वारा मंदिर परिसर में पांच दिवसीय श्रीकृष्ण कथा का आयोजन किया गया। दूसरे दिवस कथा को वांचने हुए दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या कथा व्यास साध्वी संयोगिता भारती जी ने कहा कि आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व राजस्थान की मरूभूमि पर श्री कृष्ण भक्त मीराबाई जी का जन्म हुआ। मीराबाई जी बहुआयामीय व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। वह एक क्रांतिकारी समाज सेविका, पाखंडों की खंडनकर्ता, एक उच्च कोटि की कवयित्री, एक समर्पित शिष्या और इन सभी में सर्वोपरि एक महान भक्तात्मा थी। साक्षात भक्ति मीरा के रूप में देह धर कर आई थी। वे भक्ति की ऐसी रंगशाला थी कि उनके संपर्क में आने वाले बेरंग फिके हृदय भी दिव्य रंगों से गुलजार हो उठते थे। गुरू रविदास जी द्वारा उन्होने कृष्ण तत्व का साक्षात्कार किया और उन्ही की आज्ञा से मीराबाई ने चितौड़ए मेड़ताए वृंदावनए द्वारिका आदि क्षेत्रों में ब्रहज्ञान का प्रचार.प्रसार किया। गुरू की अनिवार्यता को दर्शाते हुए कहा यदि हरि जीवन रूपी नौका के आधार हैं तो गुरू उसे भवपार लगाने वाले कर्णधार हैं