सरकारी अस्पतालों में लोकल कंपनियों की दवाओं पर रोक

मुफ्त दवाइयों के सैंपल फेल होने पर हिमाचल सरकार का फैसला

शिमला – हिमाचल सरकार ने सरकारी अस्पतालों में लोकल दवा कंपनियों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। प्रदेश में मुफ्त दवाओं की आपूर्ति के लिए अब डब्ल्यूएचओ गुड्स मेन्यूफेक्चरिंग प्रोडक्ट्स (जीएमपी) से प्रमाणित दवा कंपनियां ही अधिकृत होंगी। इसके तहत 450 किस्म की मुफ्त दवाइयों के आबंटन के लिए जयराम सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने यह कदम मुफ्त दवाइयों के सैंपल फेल होने के कारण उठाया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अस्पतालों में दी जा रही मुफ्त दवाइयों के सैंपल फेल होने पर तीन दवा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। इस आधार पर अस्पतालों को मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करवाने वाली दवा कंपनियों पर सरकार ने अपनी नई शर्त लागू कर दी है। इसके तहत रेट कांट्रेक्ट में अब केवल वही कंपनियां भाग ले सकती हैं, जो डब्ल्यूएचओ जीएमपी नियमों को फालो करेंगी। सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों के पास डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य कर दिया है। दवाइयों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार ने कंपनियों पर इस शर्त को लागू किया है। दवाइयों के बार-बार फेल हो रहे सैंपल को ध्यान में रखते हुए सरकार ने दवा फर्मों को डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य कर दिया है, ताकि अच्छी गुणवत्ता की दवाओं के मिलने से मरीजों को इलाज में भी फायदा मिले। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिन कंपनियों के पास डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणपत्र नहीं होगा, वे रेट कांट्रेक्ट में भाग नहीं ले सकेंगी, सरकार उन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी। सस्ती दवाइयों के लिए सरकार ने कंपनियों से आवेदन मांग लिए है।

330 की जगह अब 450 दवाइयां मिलेंगी सस्तीं

सरकार ने सस्ती दवाइयों की नई सूची तैयार कर दी है। इसमें दवाइयों की संख्या को बढ़ाकर 450 कर दिया है, जो पहले 330 थी। इन दवाइयों की खरीद के लिए सरकार ने टेंडर कॉल किए हैं। परचेज कमेटी रेट कांट्रेक्ट में भाग लेने वाली एल-वन कंपनी को ही दवाइयों का सप्लाई ऑर्डर जारी करेगी। प्रदेश में पिछले एक साल में करीब 90 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, जिसके चलते सरकार ने तीन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया है।