सेना में महिलाएं एवं न्यायालय

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

आजकल दिल्ली चुनाव में सरकार, पक्ष, विपक्ष सभी दल और नेता इतने मशगूल है कि देश के बाकी सारे मुद्दे  रुक से गए हैं। सीएए, एनआरसी, शाहीन बाग, हिंदू-मुस्लिम, गद्दारों को गोली, मेरा काम, दिल्ली का बेटा, संयोग-प्रयोग और भी न जाने क्या-क्या नारे और मुद्दे  इतने चर्चा में है कि देश के आर्थिक बजट की खबर भी गौण रह गई, जिसको सिवाय शेयर बाजार के किसी ने भी ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। इसी बीच दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में सेना में महिलाओं के लिए परमानेंट कमीशन और कमांड पोस्ट के लिए चल रहे मुकदमे की सुनवाई कहीं भी चर्चा में नहीं आ पाई। महिला अधिकारियों की परमानेंट कमीशन की हिमायत कर रही सीनियर वकील मीनाक्षी लेखी और ऐश्वर्या भाट्टी ने कोर्ट को मींटी अग्रवाल जिसने विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी एफ-16 जहाज को गिराने में गाइड किया था, उसको युद्ध सेवा मेडल मिला। मिताली मधुमिता को काबुल में भारतीय अंबैसी पर आतंकवादी हमले के दौरान साहस दिखाने के लिए सेना मेडल मिला आदि लड़कियों के अदम्य साहस के उदाहरण देकर औरतों को परमानेंट कमीशन तथा कमांड पोस्ट देने की पैरवी की। बदले में केंद्र सरकार के वकील आर बाल सुब्रह््ममणि तथा नीला गोखले ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और अजय रस्तोगी के बेंच को औरतों के लिए परमानेंट कमीशन और कमांड पोस्ट के विरोध की वकालत की। उन्होंने दलील दी कि महिलाओं की शारीरिक क्षमता, गर्वावस्था में  लंबी अनुपस्थिति, युद्धबंदी, बच्चों की शिक्षा आदि समस्याओं का सामना करना एक औरत के लिए बड़ा ही कठिन होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना में ज्यादातर जवान रूढ़ीवादी मानसिकता के हैं जिन्हें औरतों को कमान अधिकारी के रूप में पूरे दिल से स्वीकार करने में थोड़ा समय लगेगा। केंद्र के वकीलों ने यह भी कहा कि सरकार औरतों को परमानेंट कमीशन देने के लिए सहमत है पर सिर्फ 14 साल के लिए। 14 साल से ज्यादा नौकरी कर चुकी महिलाओं को 20 साल नौकरी के बाद पेंशनेबल बेनेफिट देकर रिटायर करने के लिए तैयार है। इस पर बैंच ने औरतों को कमांड पोस्ट न देने की पूरी तरह पाबंदी को यह कहते हुए नकार दिया कि यह सही नहीं है। सेना को ऑगेनाइजेशन की जरूरत और सयूटेविलिटी के हिसाब से औरतों को प्रोमोशन देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की बाधाएं औरतों के पुलिस में आने पर भी सामने आई थी पर पुलिस में अभी लड़कियां बहुत ही अच्छा कह रही हैं। समय के साथ सोच को बदलना बहुत जरूरी है और औरतों को उनकी योग्यता के अनुसार सेवा करने का पूरा मौका मिलना चाहिए।