धर्मशाला – कांगड़ा में तो भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सब अच्छा नहीं हो रहा है। मंत्री पद छिन रहे हैं, संगठन में तरजीह घट रही है और अब तो राज्यसभा सीट से भी कांगड़ा के नेताओं के नाम कट गए हैं। भाजपा में महत्त्वपूर्ण पदों पर ताजपोशी अब हाईकमान के इशारे पर ही होती है, लेकिन पैनल में कांगड़ा के एक भी व्यक्ति का नाम न होने से स्थानीय नेता खासे मायूस हैं कि प्रदेश की ओर से उनका नाम भी नहीं भेजा जा रहा। भाजपा में अब राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। अब किसी को भी पावर देने या न देने का निर्णय सीधे हाईकमान से होता है। संगठनात्मक चुनावों में भी पहले ही इशारा कर दिया जाता था कि संबंधित व्यक्ति का ही चुनाव करना है। ऐसे में अब राज्यसभा जैसे महत्त्वपूर्ण चुनाव के लिए भाजपा अपने एजेंडे के तहत ही काम कर रही है, जिसके चलते प्रदेश के सबसे बड़े जिले व कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आलम यह है कि अब नेता कह रहे हैं कि राज्यसभा सदस्य न बनाते, नाम तो भेज देते, जिससे जनता व समाज में मान्यता को बनी रहती, लेकिन पार्टी अपने सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीति संसदीय क्षेत्र के लोगों को इस काबिल भी नहीं समझ रही है। यह बात सबके लिए हैरत भरी है।
कई लगाए बैठे थे दिल्ली जाने की आस
विप्लव ठाकुर का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्यसभा के बहाने दिल्ली जाने की उम्मीदें लगाए बैठे कई नेताओं को अब मायूसी ही हाथ लग रही है। वे कह रहे हैं कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती वरिष्ठ नेता और उनका पार्टी के लिए समपर्ण भी अधिक है। इसी तरह पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री व केंद्रीय नेता महेंद्र पांडे भी छात्र जीवन से ही संगठन के लिए समर्पित व्यक्ति हैं और डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री भी संघ की पसंद होने के साथ-साथ संगठन के समर्पित कार्यकर्ताओं में से एक हैं, लेकिन क्षेत्र के अन्य नेताओं को भी अधिमान दिया जाता, तो बेहतर होता।