किसी अजूबे से कम नहीं हैं महाभारत के पात्र

अम्बा महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गई हैं। अम्बा की दो और बहनें थीं अम्बिका और अम्बालिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहां आए समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आए जहां उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ संपन्न हो जाए। जब अम्बा ने यह बताया कि उसने राजा शाल्व को मन से अपना पति मान लिया है तो विचित्रवीर्य ने उससे विवाह करने से इंकार कर दिया। भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया, अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, ‘हे आर्य! आप मुझे हर कर लाए हैं, अतएव आप मुझसे विवाह करें।’…

-गतांक से आगे…

अम्बा

अम्बा महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गई हैं। अम्बा की दो और बहनें थीं अम्बिका और अम्बालिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहां आए समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आए जहां उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ संपन्न हो जाए। जब अम्बा ने यह बताया कि उसने राजा शाल्व को मन से अपना पति मान लिया है तो विचित्रवीर्य ने उससे विवाह करने से इंकार कर दिया। भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया, अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, ‘हे आर्य! आप मुझे हर कर लाए हैं, अतएव आप मुझसे विवाह करें।’ किंतु भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अम्बा रुष्ट हो गई और यह कह कर कि वही भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी, वह परशुराम के पास गई और उनसे अपनी व्यथा सुना कर सहायता मांगी। परशुराम ने अम्बा से कहा, ‘हे देवि! आप चिंता न करें, मैं आपका विवाह भीष्म के साथ करवाऊंगा।’ परशुराम ने भीष्म को बुलावा भेजा, किंतु भीष्म उनके पास नहीं गए। इस पर क्रोधित होकर परशुराम भीष्म के पास पहुंचे और दोनों वीरों में भयानक युद्ध छिड़ गया। दोनों ही अभूतपूर्व योद्धा थे, इसलिए हार-जीत का फैसला नहीं हो सका। आखिर देवताओं ने हस्तक्षेप करके इस युद्ध को बंद करवा दिया। अम्बा निराश होकर वन में तपस्या करने चली गई जहां उसने महादेव की घोर तपस्या की। महादेव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसके समक्ष प्रकट होकर उसे यह वर दिया कि वह अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी। यह वर पाकर अम्बा ने आत्मदाह कर लिया और अगले जन्म में राजा द्रुपद के घर में शिखंडी के रूप में जन्म लिया। शिखंडी कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बना क्योंकि कृष्ण ने उस दिन शिखंडी को अर्जुन का सारथी बनाया और क्योंकि भीष्म को शिखंडी के पूर्व जन्म का ज्ञात था, अतएव उन्होंने एक महिला के विरुद्ध शस्त्र उठाने से इंकार कर दिया और इसी बीच अर्जुन ने मौका पाकर भीष्म पर बाणों की वर्षा कर दी जिसके कारण भीष्म आहत होकर धरती पर गिर गए।

अम्बालिका

अम्बालिका महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गई हैं। अम्बालिका की दो बड़ी बहनें थीं अम्बा तथा अम्बिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहां आए समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आए जहां उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ सम्पन्न हो जाए।