गौरेया से कुदरत का सौंदर्य

-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टिहरा

बीस मार्च को विश्व गौरेया दिवस, गौरेया अर्थात चिडि़यों की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। प्रकृति की शान पशु-पक्षियों और हर प्राणी से है। जब किसी के सिर स्वार्थ सवार हो जाता है, तो वो अपने हित को पूरा करने के लिए अपने आसपास की अच्छी चीजों, बातों को भी अनदेखा कर देता है। अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर प्रकृति की नाक में दम तो किया ही है, साथ ही प्रकृति के सौंदर्य को चार चांद लगाने वाले वन्य जीव, पशु-पक्षियों की रक्षा करना ही भूल गया है, इनमें से कुछ प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। कुदरत ने प्राणी जाति के लिए एक चक्कर सा बनाया है। इसमें हर जीव-जंतु, पक्षियों का होना जरूरी है, लेकिन बहुत ही निंदनीय है कि आज इनसान ने आधुनिकता और भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों और अन्य सभी प्राणियों के जीवन के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। चिडि़या जो प्रकृति का सबसे खूबसूरत पक्षी है, उसका अस्तित्व भी प्रदूषण, मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगों और अन्य बहुत से कारणों के चलते खतरे में है।