तालिबान-अमेरिका शांति समझौते से अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा: जॉन बोल्‍टन

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वाशिंगटन – अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के पूर्व सैन्‍य सलाहकार जॉन बोल्‍टन ने चेतावनी दी है कि तालिबान और अमेरिका के बीच शनिवार को हुए शांति समझौते से अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। उन्‍होंने कहा कि यह बराक ओबामा की तरह की एक डील है जिसका ट्रंप विरोध करते रहे हैं। बोल्‍टन ने कहा कि तालिबान को कानूनी मान्‍यता देना अमेरिका के शत्रुओं को गलत संदेश देगा। अफगानिस्‍तान शांति समझौते पर हस्‍ताक्षर के बाद बोल्‍टन ने ट्वीट कर कहा, ‘तालिबान के साथ इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने से अमेरिका की नागरिक आबादी को गंभीर खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। यह ओबामा की तरह की एक डील है। तालिबान को कानूनी मान्‍यता देने से सामान्‍य तौर पर आईएसआईएस और अलकायदा के आतंकवादियों तथा अमेरिका के शत्रुओं को गलत संदेश जाएगा।

कतर में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर
बता दें कि अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को कतर में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। अमेरिका ने ऐलान किया है कि अगर तालिबान शांति समझौते का पालन करता है तो वह और उसके सहयोगी 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेंगे। अमेरिका और अफगानिस्तान ने अपने संयुक्त बयान में यह बात कही है। माना जा रहा है कि अमेरिकी फौज के अफगानिस्तान से हटने के बाद तालिबान सशस्त्र संघर्ष छोड़ देगा। इस डील पर सहमति भी इसी उद्देश्य के लिए बनी है। दरअसल, तालिबान को देश में विदेशी सैनिकों के होने पर गहरी आपत्ति थी। तालिबान के साथ समझौता सफल रहता है तो यह भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में 18 साल से चल रहे सशस्त्र संघर्ष का समापन होगा। तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिए बाध्य नहीं है।