दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है कोरोना

महामारी बन चुका कोविड-19 का अधिक खतरा सिर्फ  कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को ही नहीं, बल्कि बीमार लोगों को भी ज्यादा है। वहीं हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार दिल के मरीज भी इसकी चपेट में जल्दी आ सकते हैं। दरअसल हाल ही में कोरोना से ही कुछ मौतों में हृदय रोग, डायबिटीज और अन्य गंभीर रोग देखने को मिले थे। एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड-19 और दूसरी बीमारियों में सबसे बड़ा फर्क यह है कि 80 प्रतिशत मामलों में इसके लक्षण बेहद मामूली दिखाई देते हैं। केवल 15 प्रतिशत मामलों में यह तीव्र दिखते है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने व उचित देखभाल की जरूरत होती है। केवल 4-5 प्रतिशत मामलों में ही इंटेसिव केयर की और वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत होती है। कोविड-19 के तेजी से फैलने का कारण यही 80 प्रतिशत मामलों में लक्षणों का अति साधारण होना ही है, जिसकी वजह से पता ही नहीं चल पाता और रोगी को अलग भी नहीं रखा जाता। वास्तव में यही लोग रोग को फैलाते हैं।

क्या हृदय रोगियों को कोरोना का खतरा ज्यादा है

हाल में हुए शोध में कहा गया कि कोरोना वायरस की बीमारी से ग्रसित कार्डियो वैस्कुलर रोगियों में मृत्यु का खतरा 10.5 प्रतिशत, जबकि हृदय रोगियों में 50 और 30 प्रतिशत रक्तचाप संबंधी बीमारी से पीडि़त होते हैं। वहीं इनमें 5.10 प्रतिशत धूम्रपान करने वाले होते हैं। केवल 5.6 प्रतिशत भारतीय यानी प्रति एक लाख की जनसंख्या में 5684 लोग ही कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से प्रभावित होते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सावधानी ही एक मात्र उपाय है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इससे प्रभावित नहीं होते, लेकिन ऐसा नहीं कि वो नहीं हो सकते। इसलिए सावधान रहें। अगर दिल के या डायबिटीज के मरीज हैं तो ऐसी डाइट लें, जिससे इम्यून सिस्टम बूस्ट व ब्लड सर्कुलेशन सही रहे। कोविड-19 साधारण जुकाम व फ्लू के मुकाबले अधिक संक्रामक है इसलिए सोशल डिस्टेंस यानी सामाजिक दूरी बनाकर रखना जरूरी है। क्योंकि अगले 3 हफ्तों तक इसका खतरा ज्यादा है तो बेहतर होगा कि आप घर से बाहर ना निकलें। अगर बहुत ज्यादा एमरजेंसी हो तो डाक्टर से फोन पर संपर्क करें और जरूरत हो तो ही अस्पताल जाएं। अपनी दवाइयां समय पर लें और नेगेटिव ना सोचे, क्योंकि इसस दिमाग पर प्रेशर पड़ेगा जो बीमार लोगों के लिए सही नहीं है।