परमार क्या बदले, बदल गए समीकरण

धर्मशाला  – विपिन परमार को विधानसभा अध्यक्ष बनाने के बाद कई ऐसी नियुक्तियां हो रही हैं, जो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं। श्री परमार चूंकि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के भाजपा संगठन के पालक थे और कांगड़ा के वरिष्ठ नेता या मंत्री यह जिम्मा मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन यहां हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के नेता को कांगड़ा के मंत्री कोटे से लेते हुए कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का पालक बना दिया है। इससे पार्टी के कई वरिष्ठ व पुराने नेता हैरत में हैं। बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश संगठन मंत्री सभी की पसंद का ध्यान रखा जा रहा है। ऐसे में अब सबको अपना-अपना कोटा तय करना ही होगा। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पिछले कुछ समय से लगातार सत्ता व संगठन में कई तरह के बदलाव चल रहे हैं। पार्टी को युवा बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन इस मुहिम में पुराने चेहरे हैरत के साथ परेशान भी हैं कि न तो उन्हें कोई पूछ रहा है और न ही कोई नई जिम्मेदारी मिल रही है। हालांकि पिछले दिनों हुई कुछ नियुक्तियों में कई नए चेहरों को मान-सम्मान मिला है, लेकिन बदले सियासी समीकरण कई तरह के नए समीकरणों को जन्म दे रहे हैं। भाजपा की नई टीम भी जोश से लवरेज है। प्रत्येक नया नेता अपना स्थान बनाने के लिए कमर कसते हुए तेल की धार को देख रहा है। फिलहाल किसी तरह के विवाद या वरिष्ठों के निशाने पर आने से बचते हुए अपने कदम जमाने को अपने स्तर पर ही तैयारियां की जा रही हैं। कहीं अपने स्वागत को बिसात बिछाकर अपना कद दिखाने के प्रयास हो रहे हैं, तो कहीं आकाओं के इशारे का इंतजार हो रहा है। इस सबके बीच कार्यकर्ताओं को बांटते हुए अपने साथ खड़ा करने की आंतरिक सियासी खींचतान कुछ और ही इशारा कर रही है।

कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली पद पर चर्चाओं का दौर

राज्यसभा सांसद विप्लव ठाकुर का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होने वाले पद के लिए भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहीं महिला की जगह, कहीं नए चेहरे, तो कहीं पुराने चेहरे की चर्चाओं से माहौल गरमाने लगा है। कांगड़ा के ही कई चेहरे इस रेस में शामिल होने को जद्दोजहद कर रहे हैं। भाजपा के नए प्रारूप में कौन फिट बैठता है, यह भी देखने वाली बात होगी।