मजदूरों-दिहाड़ीदारों पर दोहरी मार

-राजेश कुमार चौहान

प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन के लिए देश से सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा है कि 21 दिनों के लॉकडाउन का पालन गंभीरता से नहीं किया तो देश लगभग 21 साल पीछे चला जाएगा, हालांकि अब प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट किया है कि इस लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती से भी निपटा जा सकता है और पुलिस सख्ती दिखा भी रही है जबकि जनता कर्फ्यू के लिए ऐसे सख्त प्रतिबंध नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जनता कर्फ्यू को हल्के में लेते हुए उसी दिन शाम पांच बजे के बाद लापरवाही बरतना शुरू कर दी थी। सरकारों और प्रशासन ने इसे देश की सेहत के लिए खतरनाक समझा और सख्ती करना शुरू कर दी। सवाल तो यह है कि मजदूरों, दिहाड़ीदारों, छोटे दुकानदारों, व्यापारियों, ऑटो-रिक्शा चलाने वालों आदि के पास घर-परिवार का खर्चा चलाने के लिए पैसा कहां से आएगा। सरकारों और प्रशासन को उन गरीब, दिहाड़ीदार,मजदूरों और अन्य लोगों के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, जिनकी कमाई के रास्ते बंद हो गए। ऐसे लोगों को तो खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं होंगे। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने ऐसे लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन के लिए ऐसे सभी लोगों की पहचान करने में मुश्किल हो सकती है और जरूरमंद लोग मदद से वंचित रह सकते हैं। इसके लिए हर क्षेत्र के पार्षद और प्रधान को चाहिए कि वे इसके लिए आगे आएं, अपने-अपने क्षेत्र के दिहाड़ीदार, मजदूरों की पहचान कर सरकार की योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाएं।