यमुना षष्ठी

चैत्र मास की नवरात्र की षष्ठी तिथि को देश के कुछ हिस्सों में यमुना जयंती या यमुना छठ का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मथुरा और वृंदावन और गुजरात में बहुत ही भव्य तरीके से मनाए जाने की परंपरा है। यमुना जयंती, धरती पर यमुना देवी के अवतरित होने के दिन के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। यमुना छठ के दिन धूमधाम से पूरे शहर में झांकियां निकाली जाती हैं। इस वर्ष यमुना छठ 30 मार्च को मनाई जाएगी…

यमुना छठ उत्सव

यमुना छठ के दिन मथुरा के विश्राम घाट पर इस दिन की विशेष तैयारी की जाती है। शाम के समय यमुना माता की आरती की जाती है और उन्हें छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद लोग धूमधाम से नाच, कला, वगैरह मनाकर अपनी खुशियां जाहिर करते हैं और त्योहार का पूरा आनंद उठाते हैं।

यमुना छठ व्रत पूजा विधि

इस दिन सुबह सवेरे उठकर लोग यमुना जी में डुबकी लगाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। देवी यमुना को भगवान श्रीकृष्ण की साथी भी माना गया है इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि भक्तों से प्रसन्न होकर यमुना माता अपने भक्तों को निरोगी होने का वरदान भी देती हैं। फिर भक्त संध्या के समय पूजा करते हैं और उसके बाद यमुना अष्टक का पाठ करते हैं।  इस दिन लोग यमुना जी को भोग लगाते हैं और फिर दान पुण्य करते हैं और उसके बाद ही पारण करते हैं।

यमुना छठ पूजन महत्त्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना मैया को भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बताया गया है, यही वजह है जिसके चलते ब्रज और मथुरा के लोग यमुना नदी का बहुत महत्त्व मानते हैं। इसलिए मथुरा और वृंदावन के लोग इस दिन को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। गंगा नदी की ही तरह हिंदू धर्म में यमुना नदी को बहुत पावन और पवित्र माना गया है। मान्यता के अनुसार यमुना नदी धरती पर चैत्र माह की षष्ठी तिथि के दिन ही अवतरित हुई थी और तबसे ही इस दिन को यमुना छठ के रूप में मनाया जाता है। गर्ग संहिता में इस दिन का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि भगवान कृष्ण के धरती पर अवतार लेने के समय भगवान विष्णु ने लक्ष्मी माता से राधा देवी के रूप में धरती पर अवतरित होने को कहा। उस वक्त राधा ने यमुना जी को भी धरती पर भेजने का अनुरोध किया और इस तरह से धरती पर यमुना जी का प्राकट्य हुआ।

यमराज की बहन हैं यमुना

हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन बताया गया है। यमुना नदी का एक नाम यमी भी है। कहा जाता है कि सूर्य, यमराज और यमी के पिता हैं। बताया जाता है कि यमुना नदी को ‘काली गंगा’ और ‘असित’ के नाम से भी जाना जाता है और इसके पीछे की वजह ये है कि यमुना का जल पहले कुछ साफ, कुछ नीला और कुछ सांवला था। असित नाम के पीछे ये तर्क बताया जाता है कि असित एक ऋषि थे, जिन्होंने सबसे पहले यमुना नदी को खोजा था और तभी से यमुना को ‘असित’ नाम से संबोधित किया जाने लगा।