…लॉकडाउन या मज़ाक…

गगरेट  – कोरोना वायरस के संक्रमण के डर के बीच देश में घोषित किए गए 21 दिन के लॉकडाउन का राज्य सरकारों में आपसी तालमेल की कमी ने मजाक बना कर रख दिया। कोरोना वायरस और न फैले, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनता से जहां हैं, वहीं सुरक्षित ठहरने की अपील की थी, लेकिन राज्य सरकारों द्वारा लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों के लोगों को घरों से निकलकर अपने राज्य को जाने देने की दी गई ढील ने सुरक्षा चक्र में जो छेद किया है, उससे स्थिति विस्फोटक भी हो सकती है। रविवार को जिला ऊना की सीमाओं पर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में गए लोगों का ऐसा सैलाब उमड़ा कि जिला प्रशासन को भी अपना फैसला पलटते हुए ऐसे लोगों का जिले की सीमाओं पर ही मेडिकल जांच करके आगे जाने देने की इजाजत देनी पड़ी। यही नहीं, बल्कि लोगों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन को बसों का भी इंतजाम करना पड़ा। कोरोना वायरस को लेकर घोषित किए गए लॉकडाउन में राज्य सरकारों में आपसी तालमेल की कमी संक्रमण फैलने के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई है। एसडीएम विनय मोदी ने माना कि पड़ोसी राज्यों की लापरवाही से ही प्रदेश के कई लोग पैदल ही जिले की सीमाओं तक पहुंच गए। जिला प्रशासन के आदेश के अनुसार इनकी मेडिकल जांच करके इन्हें आगे जाने दिया गया।

आनन-फानन में पलटने पड़े आर्डर

जिला प्रशासन ने किसी को भी जिला से बाहर जाने व किसी को भी जिले की सीमाओं के अंदर न आने देने का ऐलान किया था, लेकिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन को अपने ही आदेश पलटने पड़े और आनन-फानन में जिले की सीमाओं पर बाहर से आ रहे लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात करनी पड़ी और थर्मल स्कैनर से एक रस्म अदायगी के बाद उन्हें गंतव्य तक जाने की इजाजत दे डाली गई। लोगों को घर पहुंचाने के लिए एचआरटीसी की बसें भी लगाई गईं और कुछ निजी स्कूल बसों के माध्यम से लोगों को आगे तक पहुंचाया गया।