विश्व नींद दिवस

एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। विश्व नींद दिवस प्रत्येक वर्ष ‘मार्च विषुव’ 21 मार्च, से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। नींद के महत्त्व को रेखांकित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग ‘स्लीप एप्निआ’ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनभिज्ञ हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित बनाए नहीं रख पाते।

स्लीप एप्निआ की समस्या

एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में 20.3 प्रतिशत रोगी डाक्टरों से नींद की गोलियां लिखने को कहते हैं। इस बात से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों में कितनी नींद की कमी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी फिलिप्स इंडिया लिमिटेड ने सर्वेक्षण के तहत जब 13 देशों अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया, अर्जेटीना, मेक्सिको, ब्राजील और जापान में 15,000 से अधिक वयस्कों से नींद के बारे में पूछा, तो कुछ रोचक तथ्य सामने आए।

खराब नींद का प्रभाव

खराब नींद के लिए दुनियाभर में 46 प्रतिशत वयस्क थकान व चिड़चिड़े व्यवहार को जिम्मेदार मानते हैं और 41 प्रतिशत इसके लिए प्रेरणा की कमी तो 39 प्रतिशत एकाग्रता की कमी को इसका प्रमुख कारण मानते हैं। फिलिप्स में निद्रा और श्वसन देखभाल विभाग के प्रमुख डा. हरीश आर के अनुसार स्लीप डिसऑर्डर लोगों की समझ से अधिक गंभीर समस्या है, इसका सीधा संबंध अन्य गंभीर बीमारियों जैसे हृदय से संबंधी रोग, मधुमेह और हृदयाघात आदि से है। लोगों को इस बारे में जागरूक करना कि यह एक गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है, अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। नींद जीवन का एक अनिवार्य और सक्रिय चरण है। हालांकि लोग ऐसे मुद्दों के प्रति अधिक शिक्षित और जागरूक बन रहे हैं, जिनके कारण स्लीप डिसऑर्डर पैदा हो सकते हैं, फिर भी यहां बहुत बड़ी जनसंख्या अभी भी लापरवाह है। ज्यादातर नींद की समस्या पूरी तरह से इलाज योग्य है और कई मामलों में इलाज वाले व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भी देखा गया है।