सीएए, एनआरसी पर संयम चाहिए 

  -रूप सिंह नेगी, सोलन

सन् 2003 में अटल जी की सरकार ने एनआरसी कानून पारित किया था। जब एनआरसी कानून को असम राज्य में लागू किया गया तो तकरीबन 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए हैं। शायद इस तरह के भयानक अनुभव को लेकर देश की जनता सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में सड़क से संसद तक दिखाई दे रही है। भले ही गृहमंत्री महोदय ने संसद में कहा है कि एनआरसी लागू करना उनकी मंशा नहीं है और एनपीआर में यदि कोई कॉलम खाली रह जाए तो उसे ‘डी’ यानी डाउटफुल  कैटेगरी में नहीं डाला जाएगा, लेकिन लगता नहीं कि जनता इस  बात से संतुष्ट होगी।