स्वार्थ में छिपा परमार्थ 

-डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ

किसी से कोई बात, न मिलना-जुलना न प्रत्यक्ष सुख-दुख। अपने छोटे से परिवार को ही अपना संसार समझते हुए अपनी चार दीवारी में सीमित करने वाला तालाबंदी मंत्र जिसने रट लिया, समझो कोरोना नामक राक्षस के चुंगल से स्वयं तो बचा ही, समाज को भी बचा लिया। आज दिखने वाले इस स्वार्थ के पीछे सच में भविष्य का परमार्थ छिपा है, जिसे समझना-समझाना समय की पुकार है। इनसानियत का परिचय देते हुए 21 दिन हम स्वार्थी दिखते हुए एकांतवास के तहत मानसिक व शारीरिक रूप से नई ऊर्जा के साथ अपने व समाज के भविष्य को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। आओ सब मिल कर इस बीमारी के साथ लड़ें और अपने-अपने घरों पर सुरक्षित रहें।