अब दवाओं में इस्तेमाल होगी ‘हल्दी’

दवा फार्मूलों में औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की तकनीक ईजाद

मंडी  – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ दि कल्टिवेशन ऑफ साइंस कोलकाता के शोधकर्ताओं ने दवा के फ ार्मूलों में हल्दी का औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की नई विधि विकसित की है। उनका यह शोध हाल में एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिजाइन में प्रकाशित किया गया है। यह एक सहकर्मी समीक्षित वैज्ञानिक पत्रिका है, जिसका प्रकाशन अमेरिकन कैमिकल सोसायटी करती है। शोध टीम में शोध के प्रमुख अन्वेषक और स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रेम फेलिक्स सिरिल और उनके रिसर्च स्कॉलर काजल शर्मा के साथ इंडियन एसोसिएशन ऑफ दि कल्टीवेशन ऑफ साइंस कोलकाता की डा. बिदिशा दास शामिल हैं। जानकारी के अनुसार हल्दी सदियों से भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह न केवल एक मसाला, बल्कि बतौर दवा भी इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी में मौजूद न्यून-आणविक-भार वाला यौगिक करक्युमिन को इसका मुख्य एक्टिव बताया जाता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीप्रोलिफरेटिव (सेल वृद्धि रोकने वाला) और एंटीएंजियोजेनिक (ट्यूमर के लिए आवश्यक नई खून की नलियां बनने से रोकने वाले) गुण हैं। इस तरह करक्युमिन को कैंसर, दिल के रोगों और न्यूरोडीजेनरेटिव समस्याओं समेत विभिन्न रोगों की संभावित दवा माना जाता है, लेकिन करक्युमिन कुदरती तौर पर पानी में नहीं घुलता है। इसलिए इसकी जैव उपलब्धता कम है और इससे दवा के लिए ऊतकों और कोशिकाओं तक पहुंचना कठिन होता है, जहां दवा की आवश्यकता हो।