लाकडाउन से परेशान बच्‍चे

कोरोना वायरस महामारी दुनिया भर में कहर बरपा रही है। डर और घबराहट की भावना पैदा करने के अलावा कोरोना ने हमारे दैनिक जीवन को हिला कर रख दिया है। बड़ी तेजी से फैलने वाले इस कोरोना वायरस को रोकने के लिए अंतिम उपाय के रूप में भारत सहित अधिकांश देशों ने अपनी-अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है और लॉकडाउन लगाया हुआ है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे सुरक्षात्मक उपायों से महामारी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है। खासकर तब तक, जब तक कि कोई प्रभावी समाधान नहीं मिल जाता है। इसका मतलब यह भी है कि हम तब तक अपने सामान्य जीवन में वापस नहीं जा सकते हैं। देश में लॉकडाउन होने के कारण लोगों के काम के अलावा, दुनिया भर के स्कूल, कालेजों को बंद कर दिया गया है। स्कूल बंद होने और घर से बाहर निकलने की मनाही ने बच्चों को खासा प्रभावित किया है। जानें कैसे बच्चें हो रहे प्रभावित।

कैसे कोरोना वायरस बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर डाल रहा प्रभाव-  ऐसे वक्त में जब लाखों लोग इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कई चीजों से संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दुनिया भर के समुदायों के लिए भी एक चुनौती धीरे-धीरे चुपचाप लगातार बढ़ रही हैं और वह ये है कि बच्चों पर कोविड-19 के प्रकोप के प्रभाव पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि तत्काल उपायों के बिना दुनिया भर में बच्चों के लिए स्थिति खराब हो सकती है। यूनिसेफ  के अनुसार देशों के स्कूल बंद होने के कारण बच्चे और युवा प्रभावित हो रहे हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसके अलावा लॉकडाउन के परिणामस्वरूप परिवार और बच्चें अपने-अपने घरों के अंदर कैद है, ये उन बच्चों के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है, जो पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से परेशान है। घर में बंद रहने से बच्चों में चिड़चिड़ापन और चिंता बढ़ रही है, जो आपस में टकराकर घर में तनाव और झगड़े का कारण बन रही है।

बढ़ रहा पढ़ाई का अंतर – वहीं बात करें एजुकेशन सेक्टर की तो भले ही स्कूल ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर इस अंतर को कम करने की पूरी कोशिश कर रहे हों, लेकिन सभी के पास आवश्यक उपकरणों या इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंच नहीं है। नियमित कक्षा शिक्षा के अभाव में, बच्चों के लिए स्क्रीन समय निश्चित रूप से बढ़ गया है। यह उन्हें उन वेबसाइटों के लिए अनुपयोगी पहुंच के जोखिम में भी डालता है, जो उनके लिए उपयुक्त नहीं हैं।

क्या कर सकते है हम – माता-पिता और अभिभावक के रूप में यह महत्त्वपूर्ण हो गया है कि बच्चों और युवाओं के लिए एक दैनिक अध्ययन कार्यक्रम निर्धारित किया जाए। स्कूल के पाठ्यक्रम और कक्षाओं को घर पर तैयार नहीं कराया जा सकता है, लेकिन प्राथमिकता होनी चाहिए कि उपलब्ध संसाधनों के साथ शिक्षा जारी रखी जा सके। रोजाना परिवार के साथ संवाद और विचार-विमर्श के महत्त्व को समझना महत्त्वपूर्ण है।