सेना, कोरोना और एमर्जेंसी

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

आज भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना जैसी भयंकर महामारी की चपेट में इस तरह से फंस चुका है कि इससे बाहर निकलने के लिए धैर्य और सरकार द्वारा दिए जा रहे दिशा-निर्देशों का पालन करना बहुत ही जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में गलत संदेश फैलाना या फिर सरकारी निर्देशों के खिलाफ कोई फैसला लेना इस बीमारी को आगे बढ़ाने में मदद करना होगा। विश्व के बाकी देशों में इस बीमारी की शुरुआत पिछले वर्ष दिसंबर में चीन से हुई और देखते ही देखते अगले दो महीनों में यह बीमारी विश्व के कुछ बड़े और विकसित देशों में अपने पैर फैला रही थी, तब तक भारत लगभग इस बीमारी से अछूता था, उस वक्त विपक्ष के एक नेता ने सरकार से इस बीमारी के भयावह संक्रमण की बात कहते हुए इसपे प्रोटैक्टिव मेसर लेने की बात कही थी, पर बाकी बातों की तरह उसकी इस बात को भी हल्के में लेते हुए मजाक बनाया गया। पर इस महीने कुछेक कोरोना संक्रमित रोगी भारत में मिलने और इसके भयावह संक्रमण को देखते हुए देश को बंद करने का निर्णय लिया गया। और जब देश पूरी तरह से बंद हो चुका था है तो कुछ एक प्रवासी मजदूरों का देश की राजधानी दिल्ली से अपने राज्यों की तरफ पैदल कूच करना तथा 13 मार्च को हुए तबलीगी जमात के सम्मेलन में देश के हर राज्य से आए लोग बीमारी को ज्यादा संक्रमित होने का पता चला है। इसके अलावा अभी मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के दौरान लग रही भीड़ और नमस्ते ट्रंप के परिणामों पर सरकार पैनी नजर लगाए हुए है। केंद्र और सारी राज्य सरकारों तथा प्रशासन सब ने मिलजुल कर इन सब परिस्थितियों को नियंत्रण में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है,  इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। इन सब के बीच सोशल मीडिया में फैल रही खबर कि 21 दिन के बंद के बाद भारत में एमर्जेंसी लगा दी जाएगी और जिसमें सेना सेवानिवृत्त सैनिकों, एनसीसी और एनएसएस के कैडेटों की मदद से लोकल प्रशासन की मदद के लिए देश के कोने-कोने में डट जाएगी। संविधान के अनुसार आपातकालीन समय में नागरिक को मिलने वाले मूल अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं और सरकार के दिशा-निर्देश चाहे सही हो या गलत, नागरिकों को मानने पड़ते हैं। इस तरह के संदेशों के फैलने के बाद सेना के एक बड़े अधिकारी व सरकार के कुछ नेताओं ने भी इस बात का खंडन करते हुए कहा कि एमर्जेंसी जैसे निर्णय का कोई विचार नहीं है। यह सर्व विदित है कि देश में चल रहे लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला देश में कोरोना के संक्रमण की स्थिति के अनुसार लिया जाएगा। पर इस वक्त हम सबका यह सबसे बड़ा कर्त्तव्य है कि सरकार के किसी भी निर्णय की कमियां या बुराइयां ढूंढने के बजाय सिर्फ  और सिर्फ  सरकार के हर दिशा-निर्देश का पालन करें। अगर आवश्यक नहीं है तो घर से बाहर न निकलें। अपने आप को एमर्जेंसी की सिचुएशन जैसे ही समझते हुए अधिकारों की बात न कर कर्त्तव्य का पालन करें। यही सबसे बड़ी देशभक्ति है और यही सबसे बड़ी देश सेवा।