घर में आयुर्वेद

लहसुन  का बोटेनिकल नाम एलियम सेटीवम है। इसकी फसल सारे भारत में की जाती है। इसमें  तेल, एलीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फॉलिक एसिड, विटामिन राइबोफ्लेविन, थाइमिन और विटामिन सी पाए जाते हैं। इसमें एमिनो एसिड और एंजाइम भी पाए जाते हैं। इसका हर सब्जी में प्रयोग किया जाता है।

गुण व कर्म

इसका प्रयोग टॉनिक के रूप में श्वास, पुराने ज्वर, वात रोगों में तथा कोलेस्ट्रॉल को कम करने, एंटीऑक्सीडेंट के रूप में तथा भूख बढ़ाने के लिए किया जाता है।

रसायन व बल्य

इसका लगातार प्रयोग करने से शरीर में बल बढ़ता है। लहसुन शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करता है और स्मृति को बढ़ाता है।

आमपाचन के रूप में

इसको लेने से पेट में पाचक रस बढ़ता है, जो भोजन को पचाता है और भूख बढ़ाता है। यह रक्त में मैटाबॉलिज्म को बढ़ाकर रक्त दोषों को दूर करता है। इसका उदरशूल में भी प्रयोग किया जाता है।

वात रोगों व दर्द में

यह आमवात जोड़ों के दर्द कटिशूल को दूर करता है। हड्डियों के टूटने पर इसे जल्दी संधान के लिए प्रयोग किया जाता है। जोड़ों के दर्द में इसका लेप किया जा सकता है।

कास व श्वास में छाती में जमें बलगम को बाहर निकाल  कर कास व श्वास में लहसुन बहुत ही लाभदायक है।

दिल के रोगों में

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से वसा दिल की रक्त वाहिनियों में जम जाता है और उन्हें संकरा कर देता है। लहसुन रक्त वाहिनियों को संकरा होने से रोकता है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है तथा एचडीएल जैसे लाभदायक कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर नियमित रखता है।