घूस का लालच देने वाले एजेंट को क्लीन चिट की तैयारी

शिमला – स्वास्थ्य घोटाले में पूर्व निदेशक को घूस का लालच देने वाले एजेंट पृथ्वीराज को स्टेट विजिलेंस क्लीन चिट देने की तैयारी में है। इस कारण तथाकथित कट एंड पेस्ट वाले ऑडियो के प्रोड्यूसर पृथ्वीराज को स्टेट विजिलेंस आरोपी नहीं बना रही है। हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के नए प्रावधानों में घूस की मांग करने वाले के साथ इसका लालच देने वाला भी दोषी होता है। बावजूद इसके पृथ्वीराज पर विजिलेंस की पूरी तरह मेहरबानी है। जाहिर है कि पृथ्वीराज का नाम भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल से जोड़ा गया है। इसके चलते डा. राजीव बिंदल को नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देना पड़ा है। पुख्ता सूचना के अनुसार वायरल ऑडियो के मुख्य आरोपी डा. अजय गुप्ता ने विजिलेंस को बताया है कि उन्होंने रिश्वत की डिमांड नहीं की थी। उल्टा उन्होंने पृथ्वीराज पर कई सनसनीखेज आरोप जड़ते हुए रिकॉर्डिंग के पीछे की नकारात्मक मानसिकता का दुखड़ा विजिलेंस के समक्ष रोया है। हालांकि मामले में फंस चुके डा. अजय गुप्ता की बातों पर कितना भरोसा किया जाए, यह सबूतों तथा तथ्यों की प्रमाणिकता पर निर्भर है। बहरहाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की पदवी छीनने वाले इस मामले अब स्टेट विजिलेंस के साथ राज्य सरकार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। जाहिर है कि 43 सेकंड के वायरल हुए ऑडियो के आधार पर इस केस की पटकथा पर कई कानूनविद भी सवाल उठा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस केस में डा. राजीव बिंदल की भूमिका भी गले नहीं उतर रही है। इसका बड़ा कारण यह है कि पृथ्वीराज का सीधा संबंध अगर बिंदल परिवार से था, तो इस मामले में घूस की बात जमीन पर नहीं टिकती। चूंकि डा. बिंदल भाजपा के कद्दावर नेता हैं, इस कारण उनसे जुड़े किसी व्यक्ति से सरकार का कोई अधिकारी काम के बदले रिश्वत मांगे, यह सभी को अटपटा लग रहा है। इस कारण इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी डा. अजय गुप्ता और रिश्वत का लालच देने वाले पृथ्वीराज सहित विजिलेंस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जाहिर है कि इस मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के त्यागपत्र के बाद यह मामला अब सियासी भूचाल से कम नहीं है। इसकी लपटों में अभी और आहूतियां दी जाना तय है। इसके चलते अब सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि महज एक ऑडियो के आधार पर निदेशक की गिरफ्तारी कहीं जल्दबाजी का नतीजा तो नहीं है? जांच में जुटी विजिलेंस टीम की मानें तो पूर्व निदेशक डा. अजय गुप्ता ने पीपीई किट की पेमेंट रिलीज करने के लिए पांच लाख की घूस मांगी थी। पृथ्वीराज ने इसकी रिकॉर्डिंग कर डा. अजय गुप्ता का भंडाफोड़ किया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने बताया कि पीपीई किट की खरीददारी में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है। परचेजिंग कमेटी ने नियमों की परिपाटी में ही इसकी खरीददारी की है। उनका कहना है कि लेन-देन के ऑडियो के पीछे पेमेंट रिलीज करना वजह बताई जा रही है। इस कारण यह मामला एजेंट और डा. अजय गुप्ता दो लोगों के बीच वन-टू-वन है। उनका कहना है कि अब मामले की जांच विजिलेंस कर रहा है। इस कारण विभाग इस पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दे सकता।