दुकानें तो खुली…व्यापार मंदा… आशा पर टीकी उम्मीद

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन से बाजारों में दुकानदारों का धंधा मंदा पड़ गया है। दुकानों को खोलने के इजाजत मिलने के बाद भी बाजार सुना पड़ा है। बसें न चलने के कारण बाजारों में खरीददार कम की पहुंच रहे हैं। लिहाजा दुकानदारों का काम 20 प्रतिशत ही सिमट तक रह गया है। दुकानदार हालत सामान्य होने तथा उनका कामकाज दोबारा पहले की तरह चलने की उम्मीद से आश लगाए बैठे हैं। ग्राहक जरूरी वस्तुओं के अलावा अन्य कोई भी सामान नहीं खरीद रहे हैं। वहीं, जब दिव्य हिमाचल ने लिया तो उन्होंने बेवाक होकर यूं अपनी राय रखी….।

स्टाफ रिपोर्टर- घुमारवीं

अब बाजार आने लगे ग्राहक

घुमारवीं के सुमेश चड्डा का कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद बाजार में दोबारा से उम्मीद जगी है कि फिर से व्यापार चलने लगेगा। दुकानें खुलने के बाद ग्राहक खरीददारी के लिए फिर से बाजार में आने लगे हैं।

दुकानें में ग्राहक गिने-चुने ही है

घुमारवीं के राजेश शर्मा ने बताया कि बाजार में अभी तक रिस्पोंस 20 फीसदी ही है। दुकानों पर ग्राहक गिने-चुने ही आ रहे हैं। ट्रांसपोर्ट चलने के बाद ही कुछ उम्मीद की जा सकती है।

ग्राहक उपयोगी वस्तुएं ही खरीद रहे है

घुमारवीं के महेंद्र पाल रतवान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद खुले बाजार से प्रदेश व देश की अर्थव्यवस्था जो पटरी पर पहले थी उसी तरह चलने की उम्मीद जगी है। दुकानें खुलने के बाद ग्राहक जरूरत अनुसार दैनिक उपयोग की वस्तुएं खरीद रहा है।

बाजार में 20 प्रतिशत ही हो रहा काम

घुमारवीं के दुकानदार विनोद का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से धंधा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। दुकानों में केवल 20 प्रतिशत काम ही रह गया है।

हालात सुधरने में लग सकता है एक साल

घुमारवीं के रणजीत का कहना है कि पहले की तरह सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा। बाजार के हालात पहले की तरह नहीं है। हालात सुधरने में कम से कम एक साल या इससे ज्यादा समय भी लग सकता है। दुकानों में केवल डेली नीड और राशन की डिमांड है। ग्राहकों को ज्यादातर भोजन की आवश्यकता है। वह चीजें पूरी हो रही है।