धन ही जीवन का साधन

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

आपकी लायकी क्या है यह सिर्फ  इस दृष्टि से नही आंकना चाहिए कि आप कितना कमा रहे हैं। आप को क्या जिम्मेदारी दी गई है, इस दृष्टि से इसका आकलन होना चाहिए। आप कितना कमा रहे हैं, यह विशेष बात नहीं है। विशेष बात यह है कि आप को कुछ नया बनाने, निर्माण करने की स्वतंत्रता है। धन हमारे जीवन का साधन है। अतः इस दृष्टि से आवश्यक है लेकिन आप को अपना मूल्यांकन हमेशा इस दृष्टि से करना चाहिए कि आप को क्या करने के लिए कहा गया है। किस स्तर की जिम्मेदारी आप को दी जा रही है? कुछ खास, कुछ ऐसा जो वास्तविक रूप से कीमती है, स्वयं अपने लिए और अपने आसपास के सभी लोगों के लिए निर्माण करने का कितना अवसर आप को उपलब्ध है। इस संसार में आप जो कुछ भी काम करते हैं वह सही रूप से तभी कीमती है, जब आप अन्य लोगों के जीवन पर गहराई से कुछ अच्छा असर डालते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप एक फिल्म बना रहे हैं, तो क्या आप ऐसी फिल्म बनाना चाहेंगे जो कोई देखना ही न चाहे? क्या आप ऐसा मकान बनाना चाहेंगे जिसमें कोई रहना ही न चाहे? आप ऐसा कुछ भी बनाना नहीं चाहेंगे जिसका कोई दूसरा उपयोग ही न करना चाहे, क्योंकि किसी न किसी अर्थ में आप दूसरों के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं। यदि आप ध्यान पूर्वक देखें, तो आप ऐसा काम करना चाहते हैं जिससे लोगों के जीवन पर अच्छा असर पड़े। कई लोग अपना जीवन कामकाज और परिवार के बीच बांट लेते हैं, उनके लिए कामकाज सिर्फ  धन कमाने के लिए है और परिवार ऐसी जगह है जहां वे दूसरों के जीवन को छूते हैं, उन पर असर डालते हैं। लेकिन यह भाग सिर्फ  परिवार तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यह जीवन के प्रत्येक भाग के लिए होना चाहिए। आप कुछ भी करें, उससे लोगों के जीवन पर अच्छा असर पड़ना चाहिए, यही सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। आप कितनी गहराई से दूसरों के जीवन को छूते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जो कुछ कर रहे हैं, उसमें किस हद तक आप की भागीदारी है। अगर आप अंदर तक गहरे उतरे हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप जिस तरह से काम करते हैं, वह अलग ही होगा और आप को आप की योग्यता के अनुसार पैसा मिलेगा। कभी-कभी आप को कुछ मोलभाव करना पड़ सकता है और वेतन वृद्धि के लिए मांग भी करनी पड़ सकती है, शायद आप की कंपनी को इस बारे में आप को याद भी दिलाना पड़ सकता है पर सामान्य रूप से यदि लोग समझते हों कि उस विशेष कारोबार या कंपनी के लिए आप की क्या कीमत है, तो वे आप को उसके अनुसार वेतन देंगे। आप जो कर रहे हैं, उसमें अगर आप तरक्की करते हैं, तो किसी समय पर, जब जरूरी हो तो आप एक स्थान को छोड़ कर दूसरे पर जा सकते हैं और आप को मिलने वाला पैसा दस गुना भी बढ़ सकता है। जैसे मान लीजिए आप एक कंपनी के प्रमुख हैं और किसी कारण से वे आप को पर्याप्त पैसा नहीं दे रहे, लेकिन उन्होंने आप को कंपनी चलाने की संपूर्ण जिम्मेदारी सौंप रखी है। अब, अगर आप बढि़या काम कर रहे हैं और दुनिया देख रही है, तो कल कोई भी आप को किसी भी कीमत पर लेने को तैयार होगा। तो यह जरूरी नहीं है कि आप की कीमत को हमेशा पैसे की दृष्टि से ही आंका जाए। लोग बड़ी कंपनी, बड़े निगम इसलिए बनाते हैं क्योंकि हम मिल कर वो कर सकते हैं जो व्यक्तिगत रूप से नहीं कर सकते। हम सभी व्यक्तिगत उद्यमियों के रूप में काम कर सकते थे और हम लंबे समय से इसी रूप में काम करते रहे हैं। हर व्यक्ति किसी वस्तु का उत्पादक या व्यापारी होता था। लेकिन जब हम हजारों लोगों की इच्छा शक्ति को एक ही दिशा में मिल कर उपयोग में लाते हैं, तो वह एक ऐसा निगम होता है जो कुछ बड़ा हासिल करना चाहता है। इस कंपनी में आप को जो जिम्मेदारी दी गई है, आप में जो विश्वास दिखाया गया है, उसका स्तर ही वास्तव में आप की कीमत तय करता है। आप इसमें से किस हद तक धन कमाते हैं वह महत्त्वपूर्ण है, लेकिन यही सब कुछ नहीं है।