नेल्लई अप्पार मंदिर

तिरुनेलवेली का नेल्लई अप्पार मंदिर तमिलनाडु का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। इसे 700 ई. में पंड्या द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती के लिए दो अलग मंदिर बनाए गए हैं। इस मंदिर को संगीत स्तंभ भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर में स्थित पत्थर के खंभों से आप मधुर संगीत की धुन निकाल सकते हैं। यह मंदिर 14 एकड़ में फैला है और इसका मुख्य द्वार 850 फुट लंबा और 756 फुट चौड़ा है। जबकि संगीत खंभों का निर्माण निंदरेसर नेदुमारन ने किया था, जो कि तत्कालीन समय में श्रेष्ठ शिल्पकारी है। मंदिर में स्थित खंभों से मधुर धुन निकलती है, जिससे श्रद्धालुओं में कौतहूल रहता है। इन खंभों से घंटी जैसी मधुर ध्वनि निकलती है। आप इन खंभों से सात रंग के संगीत की धुन निकाल सकते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला इतनी निराली है कि एक ही पत्थर से 48 खंभे बनाए गए हैं। जबकि ये सभी 48 खंभे मुख्य खंभे को घेरे हुए हैं। इस मंदिर में कुल 161 खंभे ऐसे हैं, जिनसे संगीत की ध्वनि निकलती है। आश्चर्य की बात यह है कि अगर आप एक खंभे से ध्वनि निकालने की कोशिश करेंगे, तो अन्य खंभों में भी कंपन होने लगती है। इस विषय पर कई शोध किए गए हैं। इसमें एक शोध के अनुसार इन पत्थर के खंभों को तीन श्रेणी में बांटा गया है, जिनमें पहले को श्रुति स्तंभ, दूसरे को गण थूंगल और तीसरे को लया थूंगल कहा जाता है। इनमें श्रुति स्तंभ और लया के बीच आपसी संबंध है। जब श्रुति स्तंभ पर कोई टैप किया जाता है तो लया थूंगल से भी आवाज निकलती है। ठीक उसी तरह लया थूंगल पर कोई टैप किया जाता है तो श्रुति स्तंभ से भी ध्वनि निकलती है। यह मंदिर शहर के बीचों-बीच है।