योग के कई आयाम

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

योग कोई व्यायाम का प्रकार नहीं है, इसके अन्य कई आयाम हैं। योग को सिर्फ  एक व्यायाम प्रक्रिया बना देना एक गंभीर अपराध होगा, पर एक चीज है  उपयोग, जिसका अर्थ है हल्का व्यायाम या उपयोगी प्रक्रियाएं, जिनमें आध्यात्मिक आयाम जुड़ा हुआ नहीं है। आप अगर उपयोग अथवा अंग मर्दन योग करते हैं, तो ये पक्का हो जाएगा कि आप चुस्त-दुरुस्त रहेंगे और आप को किन्हीं उपकरणों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। आप को कुछ चाहिए तो वह है, फर्श पर केवल 6-6 फुट की जगह। आप एकदम चुस्त-दुरुस्त रहेंगे और आप की मांसपेशियां भी बनेंगी। अंगमर्दन और उपयोग में आप के शरीर के भार का ही उपयोग सब व्यायाम करने में होता है। तब आप को यह बहाना भी नहीं मिलेगा कि आप के पास कोई जिम नहीं है। आप कहीं पर भी ये व्यायाम कर सकते हैं, क्योंकि आप का शरीर आप के साथ ही है। शरीर को सुदृढ़ बनाने का ये उतना ही प्रभावशाली तरीका है जितना जिम में वजन उठाना। इससे आप समझदार मनुष्य दिखेंगे और अपनी शारीरिक व्यवस्था पर कोई अतिरिक्त दबाव डाले बिना ही आप काफी मजबूत हो जाएंगे। सिर्फ एक बात है कि आप इकट्ठी की हुई मांसपेशियों वाले नहीं दिखेंगे। बहुत सारे लोग उस तरह के, सिर्फ  मांसपेशियों वाले हो गए हैं। उन्हें लगता है कि वे चुस्त-दुरुस्त हैं पर मुझे लगता है कि वे सब जैसे कोई एक सांचे में ढले हैं। आप की मांसपेशियों की मजबूती और उनका भरा हुआ उठाव ही महत्त्वपूर्ण नहीं है। आपके शरीर का लचीलापन आप की व्यवस्था ठीक से चलाने के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। योग में हम सिर्फ मांसपेशियों की मजबूती की ओर ही नहीं देखते। शरीर के हर अंग का स्वस्थ होना भी महत्त्वपूर्ण है। यौगिक व्यवस्था इसीलिए विकसित हुई है कि शरीर के सभी अंगों के स्वास्थ्य की देखभाल की जाए। यदि आप की मांसपेशियां बहुत सुदृढ़ हैं पर आप का लिवर सही ढंग से काम नहीं कर रहा, तो उन मांसपेशियों का क्या लाभ? यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि शरीर लचीला हो और उपयोगी हो। अंगों का आरामदायक स्थिति में होना भी एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। एक पहलू यह भी है कि शरीर के अधिकतर महत्त्वपूर्ण अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये अंग न तो कठोर हैं, न ही नट बोल्ट द्वारा जोड़े हुए हैं। सिर्फ  जब आप अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी कर के बैठते हैं, तभी ये अंग सबसे ज्यादा आराम में होते हैं। परंतु आजकल आराम का आधुनिक विचार ये है कि आप पीछे की ओर झुके हुए हो, पर जब आप ऐसे झुके हुए होते हैं, तो आप के अंग कभी भी आराम में नहीं हो सकते, उन्हें जैसे काम करना चाहिए, वे वैसा नहीं कर पाएंगे। शरीर को सीधा रखना जरूरी है, इसलिए नहीं कि हमें आराम पसंद नहीं है, इसलिए कि हम आराम को बिलकुल अलग ढंग से समझते और अनुभव करते हैं। आप अपनी मांसपेशियों को इस बात की ट्रेनिंग दे सकते हैं कि रीढ़ की हड्डी सीधी कर के बैठने पर भी वे आराम में रहें, पर आप अपने अंगों को इस बात की ट्रेनिंग नहीं दे सकते कि शरीर पीछे की ओर झुका हुआ होने पर भी वे आरामदायक अवस्था में रहें। ऐसा करने का कोई मार्ग नहीं है, अतः हम अपने शरीर को इस तरह से प्रशिक्षित करते हैं, जिससे हमारे कंकाल एवं मांसपेशियों की व्यवस्थाएं सीधे बैठने पर आराम की अवस्था में ही हों। आप पतला होने, पीठ का दर्द या सिरदर्द मिटाने के लिए योग नहीं करते। स्वस्थ और शांतिपूर्ण तो आप योग करने से, ऐसे ही हो जाएंगे, क्योंकि योग करने के ये साईड इफेक्ट हैं, ये योग का मुख्य लक्ष्य नहीं हैं। आप को वजन कम करने या स्वस्थ रहने के लिए योग करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए तो आप को समझदारी से खाना और टेनिस खेलना या तैरना चाहिए। योग का लक्ष्य आप के अंदर एक अन्य आयाम को जगाना है, जो भौतिकता से परे है। सिर्फ  जब वह जागता है, तभी अस्तित्व आप के लिए लाखों तरीकों से खुलता है।