श्रीराम जानकी मंदिर

भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम को बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। श्रीराम और माता जानकी की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य के सब संकट टल जाते हैं। आज भी रामायण के दोहे और प्रसंगों का गुणगान बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाता है। उत्तर प्रदेश के झांसी से करीब 40 किलोमीटर दूर राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त का जन्म स्थान है चिरगांव। आजकल चिरगांव की नई पहचान यहां के श्रीराम जानकी मंदिर से भी हो रही है। पहचान का कारण भी अनोखा है। किला परिसर के प्राचीन मंदिर में प्रवेश करते ही बच्चों के सैकड़ों पालने (झूले) टंगे दिखाई देते हैं। पालने टंगे होने का कारण है यहां का हनुमान मंदिर। यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी दंपति संतान की मनोकामना लेकर आता है, उसे संतान प्राप्ति अवश्य होती है। संतान होने के बाद लोग मंदिर में झूला अवश्य चढ़ाते हैं। करीब 40 साल से श्रीराम जानकी मंदिर में झूले चढ़ाने का सिलसिला चल रहा है। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग यहां आए और उन्हें संतान प्राप्ति हुई। मंदिर में अब तक हजारों पालने श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए हैं। अब मंदिर में झूले रखने की जगह नहीं बची है, तो छत पर झूले रखवा दिए गए हैं। मंदिर में ग्वालियर, कानपुर, झांसी और आसपास के 100 किमी. क्षेत्र से लोग आते हैं।