सुरक्षा परिषद के चुनाव के पहले भारत ने तय की प्राथमिकताएं, आतंकवाद और शांति पर रहेगा फोकस

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में चुनाव में उतरने से पहले भारत ने शुक्रवार अपने चार सूत्रीय एजेंडे का खुलासा किया तथा कहा कि प्रगति के नए अवसर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर प्रभावी कार्रवाई और बहुपक्षीय प्रणालियों में सुधार उसकी प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार यहां सुरक्षा परिषद के लिए भारत की प्राथमिकताओं की एक विवरणिका जारी की। इसमें उक्त चार विषयों के अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर एक व्यापक रुख तथा समाधान के उपकरण के तौर पर मानवीयता आधारित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने को भी प्राथमिकता देने की बात कही गई है। सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यता के लिए 17 जून को चुनाव होना है। अस्थायी सदस्यता दो वर्ष के लिए होती है और भारत दस साल बाद इसके लिए चुनाव में उतरा है। एशिया प्रशांत समूह से एकमात्र मान्य प्रत्याशी होने के नाते भारत की सफलता तय मानी जा रही है। इस अवसर पर डा. जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय में हम अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए चार भिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पहली अंतरराष्ट्रीय शासन की सामान्य प्रक्रिया पर दबाव बढ़ रहा हैए दूसरा पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां बेलगाम होकर बढ़ती जा रही हैं। तीसरा वैश्विक संस्थानों में पूर्ण प्रतिनिधित्व की कमी बनी हुई है, इसलिए वे कम प्रभावी हैं तथा चौथा कोविड-19 की महामारी एवं उसका आर्थिक असर दुनिया पर अभूतपूर्व प्रभाव डालेगा।