..नेशनल बोर्ड को जाएगा तीन अभयारण्यों से वन भूमि ट्रांसफर कर रास्ते बनाने का मामला

शिमला – हिमाचल प्रदेश में तीन अभयारण्यों से वन भूमि को ट्रांसफर कर रास्तों का निर्माण करने को लेकर मामला राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड की 9वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण में बेहतर तालमेल और समय की आवश्यकता है। स्टेट बोर्ड की यह बैठक तीन साल के बाद हुई और वर्तमान सरकार में यह पहली बैठक थी। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश के पारिस्थितिकी संतुलन में वन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और राज्य सरकार वनीकरण पर विशेष ध्यान दे रही है। वर्तमान वर्ष के दौरान 1.20 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 15 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के अधीन आता है। राज्य में पांच राष्ट्रीय पार्क, 25 वन्य जीव अभयारण्य और तीन प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र हैं। राज्य सरकार विभिन्न विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए राज्य में वन्य जीव संरक्षण कानून को सख्ती से लागू कर रही है। उन्होंने प्रदेश में ट्रैगोपेन के कैप्टिव प्रजनन की सफलता पर पर प्रसन्नता व्यक्त की। थुनाग, पंजुत-लंबा सफर-चिलमगढ़-शिकारी माता सड़क के उन्नयन के लिए शिकारी देवी वन्य जीव अभयारण्य में 2.80 हेक्टेयर वन भूमि के परिवर्तन के मामले को उपयुक्त प्राधिकरण के समक्ष उठाया जाएगा। इस सड़क के स्तरोन्नयन से लोगों के अतिरिक्त हर वर्ष शिकारी माता आने वाले पर्यटकों को भी सुविधा मिलेगी। मुख्यमंत्री ने दोहरानाला-शिल्लीराजगिरी (चेष्टा) सड़क को कुल्लू के लौट और रोहलांग गांवों तक विस्तार देने के लिए खोखण वन्य जीव अभयारण्य से 1.55 हेक्टेयर वन भूमि को परिवर्तित करने के लिए विभाग को निर्देश दिए। प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन डा. सविता द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘वैटलैंड बर्ड्ज ऑफ पौंग डैम’, मुख्य अरण्यपाल प्रदीप ठाकुर और जिला वन अधिकारी डढवाल द्वारा लिखी पुस्तक स्नो लैपर्ड-प्राइड ऑफ हिमाचल प्रदेश, सेवानिवृत्त अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल पीएल ठाकुर और नरेश पाल सिंह दौलटा जिला वन अधिकारी द्वारा लिखित लाहौल पांगी पर पत्रिका का भी इस अवसर पर विमोचन किया। विधायक अर्जुन सिंह, सुरेंद्र शौरी, होशियार सिंह और बलबीर वर्मा, प्रधान सचिव राजस्व ओंकार चंद शर्मा, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार, बोर्ड के सदस्यगण और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

ईको-पर्यटन की भी अपार संभावनाएं

वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क में ईको-पर्यटन की दृष्टि की अपार संभावनाएं हैं। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क विश्व धरोहर सूची में शामिल है, जबकि पौंग बांध, रेणुकाजी झील और चंद्रताल रामसर जैसे गंतव्य राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।

रेणुकाजी लघु चिडि़याघर के मास्टर प्लान पर चर्चा

अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन संजय गुप्ता ने कहा कि राज्य वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा स्वीकृत विषय राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड की अंतिम स्वीकृति के लिए शीघ्र ही भेजे जाएंगे। प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य वन्य जीव वार्डन डा. सविता ने वन्य प्राणियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तृत प्रस्तुति देते हुए वन्य प्राणी विंग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। बैठक के दौरान श्री रेणुकाजी लघु चिडि़याघर के मास्टर प्लान पर हुई प्रगति से भी अवगत करवाया गया। बैठक में पौंग बांध वन्य जीव अभ्यारण्य के बारे में सदस्य अर्जुन सिंह और होशियार सिंह द्वारा दिए गए कुछ सुझावों पर भी विचार-विमर्श किया गया।