एनकाउंटर की जांच हो

-रूप सिंह नेगी, सोलन

ऐसा लगना स्वाभाविक सा है कि विकास दुबे के एनकाउंटर के साथ कई किस्से, कई सबूत मिट गए हैं और कई राजनीतिक नेताओं, पुलिस विभाग व प्रशासन के लोगों के साथ उसके संबंधों का खुलासा शायद अब नहीं हो पाएगा। कई गहरे राज अब राज ही बन कर रह गए हैं। बिना राजनीतिक संरक्षण के दुबे के इतने राज्यों व शहरों से गुजर कर उज्जैन पहुंचने पर कई सवाल उठते हैं। यह सवाल उठना भी लाजमी सा लगता है कि उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी हुई थी या फिर कोई योजनाबद्ध आत्मसमर्पण था? यदि ़यह आत्मसमर्पण था तो फिर उसके एनकाउंटर के क्या मायने हो सकते हैं। इस मामले की जांच उच्च स्तर पर कराई जानी चाहिए।