दिल्ली पहुंचा एनआईटी का मसला, अनुराग ने भ्रष्टाचार के आरोपों और गिरती रैंकिंग की जांच की उठाई मांग

हमीरपुर – फैकल्टी और अन्य विभागों में अच्छी-खासी नई नियुक्तियों के बावजूद हमीरपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) की रैंकिंग में आई भारी गिरावट और राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान में लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर ने इस मसले को मानव संसाधन मंत्रालय के समक्ष उठाते हुए मामले की जांच की मांग की है। गुरुवार को अनुराग ठाकुर ने मानव संसाधन विकास मंत्री से मुलाकात कर चर्चा का केंद्र बने हमीरपुर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का मुद्दा उठाया है। अनुराग ने मानव संसाधन विकास मंत्री को बताया कि कुछ समय पहले एनआईटी हमीरपुर के कर्मचारियों की तरफ से उनके पास विभिन्न पत्रों के माध्यमों से एनआईटी डायरेक्टर पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों व संस्थान की गिरती रैंकिंग की जानकारी पहुंची थी, तब तीन माह पूर्व मार्च में भी मानव संसाधन विकास मंत्री से मिल कर इस मुद्दे पर बात की थी, लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से इस विषय पर कार्यवाही नहीं हो पाई थी। अनुराग ठाकुर ने अतिशीघ्र इस मुद्दे की जांच पर बल देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। बताते हैं कि मंत्री ने एनआईटी हमीरपुर में भ्रष्टाचार के आरोपों और गिरती रैंकिंग की तुरंत जांच करने व उचित कदम उठाने के लिए अनुराग ठाकुर को आश्वस्त किया है। बता दें कि संस्थान की रैंकिंग गिरने के मामले को लेकर ओल्ड स्टूडेंट्स और कई अन्य जानकार पिछले दिनों से मुखर हो गए हैं। एनआईआरएफ की कुछ दिन पहले घोषित रैंकिंग में इस संस्थान को 98वां स्थान हासिल हुआ था, जबकि पिछले साल की रैंकिंग में यह 60वें नंबर पर था। सवाल इस बार का नहीं है, पिछले लगातार पांच साल की ऐसी रैंकिंग में संस्थान को नीचे उतरता देखकर संस्थान से जुड़े पुराने और मौजूदा भीतरी व्यवस्था के लोग परेशान हैं। वजह यह भी है कि हिमाचल में आईआईटी मंडी और सलूनी जैसे इंजीनियरिंग संस्थान थोड़े समय में ही इतने आगे निकल गए हैं, जबकि लगभग 30 साल पुराना यह संस्थान हांफने लगा है। सवाल यह है कि क्या यहां संस्थान को रैंकिंग में सुधारने के लिए आला अधिकारी काबिल नहीं रहे हैं? क्या इस संस्थान की अंदरूनी व्यवस्था की गुणवत्ता कमजोर हो चुकी है। इन्हीं सवालों का जवाब अब मांगा जाने लगा है। गौरतलब है कि मौजूदा डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल से ज्यादा का हो गया है और उनके आने से पहले यह दलील दी जाती थी कि संस्थान में महत्त्वपूर्ण पदों पर रिकू्रटमेंट रुकी हुई है। जिस कारण इसका खामियाजा संस्थान के शैक्षणिक माहौल को भुगतना पड़ रहा है। मौजूदा डायरेक्टर ने 100 से ज्यादा फैकल्टी और अन्य तरह की रिक्रूटमेंट को अंजाम देकर जिस तरीके से काम शुरू किया था, उसका रिजल्ट फिलहाल सामने नहीं आ पाया है। हालांकि इस रिक्रूटमेंट को लेकर भी कई तरह के सवाल उठे और तरह-तरह के आरोप भी लगे। मामला एमएचआरडी तक भी शिकायत के रूप में गया था, मगर इस पर सवालों का जवाब किसी को नहीं मिला। यह बात अलग है कि संस्थान के डायरेक्टर विवादों पर यही कहते रहे हैं कि रिक्रूटमेंट नियमों के तहत हुई है।

कभी 19वीं रैंकिंग पर था एनआईटी हमीरपुर

हमीरपुर स्थित हिमाचल का एकमात्र एनआईटी कभी रैंकिंग में 19वें स्थान पर था। अब रैंकिंग का 98वें पायदान पर लुढ़कना बड़ा सवाल है। हालांकि संस्थान के एक्सपर्ट भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर संस्थान इतने नीचे कैसे चला गया। बता दें कि सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा भी काफी लंबे समय से संस्थान के मुखिया की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा रहे हैं।