इंग्लैंड-अमेरिका की रसोई में हिमाचली लहसुन

प्रदेश के किसानों की फसल तैयार, खरीददारी को खेतों तक पहुंचने लगे कारोबारी

 भुंतर –करीब चार साल बाद अच्छे दाम बटोरने वाला हिमाचली किसानों का लहसुन ब्रिटिश और अमरीकी पकवानों का स्वाद बढ़ाएगा। चाइना के बाद लहसुन उत्पादन में टॉप देश का इंडियन गारलिक इंग्लैंड और अमरीका सहित दुनिया भर के एक दर्जन से भी अधिक देशों को निर्यात होने लगा है, तो हाल ही के सालों से नकदी फसल उत्पादन में आश्चर्यजनक प्रगति करने वाले हिमाचली लहसुन भी इसमें शामिल होने को तैयार है। राज्य में लहसुन की फसल तैयार हो गई है और किसान इसकी पैकिंग-ग्रेडिंग के मिशन में जुट गए हैं। लिहाजा, स्थानीय मंडियों के साथ सीधे व्यापारियों के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यह फसल पहुंचाने को कुल्लू सहित अन्य जिलों में बाहर से दस्तक देने लगे हैं, जो सीधे ही किसानों की फसल का मोलभाव कर देश-विदेश की मंडियों में पहुंचाएंगे। जानकारी के मुताबिक कुल्लू सहित अन्य जिलों में किसान लहसुन को खेतों से निकालने में जुटे हैं। हिमाचली लहसुन की दक्षिण भारत में भी अच्छी डिमांड रहती है। कारोबारियों के अनुसार इसका मुख्य कारण प्रदेश की फसल का अलग स्वाद है। सुशील गुलेरिया, सचिव, कृषि उपज मंडी विपणन समिति, कुल्लू व लाहुल-स्पीति ने बताया कि कुल्लू सहित अन्य जिलों में लहसुन की फसल तैयार हो गई है और जल्द ही यह देश भर की मंडियों में पहुंचनी आरंभ हो जाएगी।

चार हजार हेक्टेयर भूमि पर पैदावार

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें, तो राज्य में करीब चार हजार हेक्टेयर भूमि पर लहसुन की पैदावार होती है और करीब 40 से 45 हजार मीट्रिक टन तक फसल उत्पादन होता है। उत्पादकों को स्थानीय मार्केट में 40 से 80 रुपए प्रतिकिलो तक औसत दाम उनकी फसल के मिलते हैं। इस बार चार साल के बाद किसानों को फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं।