मुख्यधारा में हिमाचली साहित्यकारों की उपस्थिति

गुरमीत बेदी, मो.- 9418033344

हिमाचल प्रदेश भले ही देश के नक्शे में छोटा सा पहाड़ी राज्य है, लेकिन साहित्यिक परिदृश्य पर इस राज्य के हस्ताक्षर अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। यह राज्य न केवल अपनी कलात्मक व सांस्कृतिक धरोहर के लिए विख्यात है, बल्कि यहां की साहित्यिक जमीन भी काफी उर्वर है और यहां के साहित्यकारों ने कई कालजयी रचनाएं साहित्य जगत को देकर इसे समृद्ध किया है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य और शांत परिवेश हमेशा सृजन को नई परवाज़ देता रहा है। प्रदेश के शब्द शिल्पियों ने तो अपने सृजन से इस प्रदेश को गौरवान्वित किया ही है, दूसरे राज्यों के कई लेखकों ने भी यहां की धरती पर आकर उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन किया।आजादी से पहले की बात हो या आजादी के बाद का समय, हिमाचल के कवियों, कहानीकारों और लेखकों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने लेखन का लोहा मनवाया है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी हों या यशपाल सरीखे क्रांतिकारी साहित्यकार, शिमला में जन्मे निर्मल वर्मा हों या कसौली में पैदा हुए रस्किन बॉन्ड, हिमाचल में एक लंबी फेहरिस्त है नामचीन लेखकों की। हिमाचल में ही पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम सरीखे लेखक भी हुए जिनका साहित्यिक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। यही नहीं, कई विख्यात लेखकों का भी हिमाचल की माटी के साथ जुड़ाव रहा है और उन्होंने  इस पर्वतीय प्रदेश में कई महत्त्वपूर्ण कृतियों की रचना की। राहुल सांकृत्यायन  की रचनाओं में भी हिमाचल धड़कता है।

खुशवंत सिंह ने भी कसौली में कई महत्त्वपूर्ण रचनाएं लिखी। उपेंद्रनाथ अश्क भी यहां आकर लिखते रहे। नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने भी यहां सृजन किया और प्रदेश का मान बढ़ाया। हिमाचल में साहित्य की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने में इस पर्वतीय प्रदेश के रचनाकार और साहित्यकार सदैव अग्रणी रहे हैं। चाहे उपन्यास विधा हो या  कहानी विधा, कविता हो या समीक्षा का क्षेत्र। हिमाचल के साहित्यकारों की रचनाओं की धमक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देती है।विश्व पुस्तक मेलों में भी हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों की कृतियां देशभर के पाठकों का ध्यान आकर्षित करती आई हैं। देश की चोटी की साहित्यिक पत्रिकाओं में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच हिमाचल के सृजन ने अपनी विशिष्ट जगह बनाई है। वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति के बीच नई पीढ़ी के रचनाकारों का सृजन इस बात की गवाही देता है कि हिमाचल प्रदेश कितनी साहित्यिक ऊर्जा से लबरेज है। देश के जाने-माने समीक्षकों व आलोचकों का ध्यान भी इस प्रदेश के साहित्यकारों ने आकर्षित किया है। नए दौर के रचनाकार लगातार नए विषयों पर धारदार लिखकर अपनी रचनात्मक ऊर्जा, वैचारिक परिपक्वता और अपनी विरल लेखन शैली का लोहा मनवा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस प्रदेश के साहित्यकारों की रचनाएं लगातार धूम मचा रही हैं। बाजारवाद और उपभोक्तावाद के इस विरल दौर में भी यहां के साहित्यकारों ने जीवन के कोमल भावों को विनष्ट होने से बचाए रखा है। इस प्रदेश में विभिन्न शहरों में होने वाले साहित्यिक आयोजनों में नए लेखकों की अपनी रचनात्मकता के साथ उत्साहपूर्ण उपस्थिति यह आश्वस्त करती है कि प्रदेश में लेखन की धारा किस तरह संकरी घाटियों में भी अविरल बह रही है और यह कभी सूखने वाली नहीं है। प्रदेश का साहित्यकार अपनी लय और ताल से मुख्यधारा को प्रभावित कर रहा है। यह सुखद भी है और गर्व की बात भी।