शिब्बोथान मंदिर

कांगड़ा जिले के भरमाड़ कस्बे में स्थित शिब्बोथान धाम हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हर साल सावन-भादों में यहां रविवारीय मेले लगते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर को फिलहाल बंद रखा गया है। देवभूमि हिमाचल की पावन स्थली भरमाड़ को सिद्ध संप्रदाय गद्दी, सिद्ध बाबा शिब्बोथान और सर्व व्याधि विनाशन के रूप में भी जाना जाता है। यूं तो इस मंदिर के संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं और कई इतिहासकारों ने भी मंदिर की विशेष मान्यता को लेकर अपने विचार प्रकट किए हैं। कहा जाता है कि ब्रिटिश शासक वारेन हेस्टिंगज ने अपने शासनकाल में इस दरबार के चमत्कार से प्रभावित होकर मंदिर के समीप एक कुएं का निर्माण करवाया था। मंदिर के महंत राम प्रकाश के अनुसार बाबा शिब्बोथान कलियुग में भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। मुगलकालीन शैली से निर्मित इस मंदिर में सभी धर्मों के लोग दर्शनार्थ आते हैं। कहा जाता है कि लगभग 600 वर्ष पूर्व भरमाड़ के निकट सिद्धपुरघाड़ के आलमदेव के घर में शिब्बू नामक बालक ने जन्म लिया। बाबा शिब्बो जन्म से पूर्ण रूप से अपंग थे। उन्होंने जाहरवीर गुग्गा जी की 2 वर्षों तक घने जंगलों में तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर जाहरवीर गुग्गा पीर ने बाबा शिब्बो को तीन वरदान दिए। प्रथम वरदान में उन्होंने कहा कि यह स्थान आज से शिब्बोथान नाम से प्रसिद्ध होगा। दूसरे वरदान में उन्होंने कहा कि तुम नागों के सिद्ध कहलाओगे और इस स्थान से सर्पदंशित व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक होकर जाएगा। तुम्हारे कुल का कोई भी बच्चा अगर यहां पानी की तीन चूलियां जहर से पीडि़त व्यक्ति को पिला देगा, तो पीडि़त व्यक्ति जहर से मुक्ति पाएगा और स्वस्थ हो जाएगा। तीसरे और अंतिम वर में उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर बैठकर तुमने तपस्या की है, उस स्थान की मिट्टी जहरयुक्त स्थान पर लगाने से व्यक्ति जहर से मुक्ति पाएगा। जिस बेरी और बिल के पेड़ के नीचे बैठकर बाबा शिब्बो ने तपस्या की, वह कांटों से रहित हो गई है। ये बेरी आज भी मंदिर परिसर में हरी-भरी है। मंदिर के समीप ही सिद्ध बाबा शिब्बोथान का भगारा स्थल भी मौजूद है, जहां से लोग मिट्टी अर्थात भगारा अपने घरों में ले जाते हैं और इसे पानी में मिलाकर अपने घरों के चारों ओर छिड़क देते हैं। लोगों की आस्था है कि बाबा जी का भगारा घरों में छिड़कने से घर में सांप, बिच्छु या अन्य घातक जीव-जंतु प्रवेश नहीं करते है। कुछ लोगों की यह भी आस्था है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप या बिच्छु या कोई अन्य जीव काट ले, तो काटे गए स्थान पर बाबा जी का भगारा लगाने से जहर का प्रभाव कम हो जाता है। मंदिर परिसर के नजदीक हनुमान और शिव मंदिर भी हैं, जहां पर लोग पूजा-अर्चना करते हैं। मन्नत पूरी होने पर लोग मंदिर में अपनी श्रद्धानुसार गेहूं, नमक व फुल्लियों का प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर में माथा टेकने के बाद लोग मंदिर की परिक्रमा भी करते हैं।

-कपिल मेहरा, जवाली