सितंबर तक हर हाल में तैयार करो सुरंग, एडीजी बीआरओ के अधिकारियों को दिए निर्देश

मनाली – चीन के साथ जारी तनाव को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय सीमा पर सेना की ताकत बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहा है। इसी फेहरिस्त में 4000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही 8.8 किलोमीटर लंबी अटल टनल का कार्य भी अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। लिहाजा रक्षा मंत्रालय ने जहां बीआरओ को सितंबर माह की डेडलाइन दे रखी है, वहीं इसी सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अटल टनल का जायजा लेने मनाली पहुंच रहे हैं। रक्षा मंत्री के दौरे को ध्यान में रख बीआरओ के एडीजी अनिल कुमार ने रविवार को निर्माणाधीन अटल टनल का जायजा लिया और बीआरओ के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान एडीजी अनिल कुमार ने बीआरओ के अधिकारियों को कहा कि अटल टनल का मिर्माण कार्य समय पर पूरा किया जाए। उन्होंने टनल के नकनीकी कार्यों का निरीक्षण किया। साथ ही अधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश भी दिए। अटल टनल के चीफ इंजीनियर केपी पुरषोथमन ने इस दौरान टनल के निर्माण कार्य की विस्तार से जानकारी एडीजी अनिल कुमार को दी। बता दें कि 8.8 किलो मीटर लंबी अटल टनल के बनने के बाद जहां मनाली से लेह की दूरी 45 किलोमीटर कम हो जाएगी, वहीं जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति का संपर्क साल भर विश्व से जुड़ा रहेगा। टनल के बन जाने के बाद लाहुल-स्पीति की रफ्तार को रोहतांग दर्रे की बर्फबारी भी नहीं रोक सकेगी। अटल टनल के दोनों तरफ जहां बड़ी-बड़ी स्नो गैलरियों का निर्माण किया जा रहा है, वहीं ग्लेशियर के गिरने पर भी टनल का रास्ता बंद नहीं होगा। विदेशी तकनीक से तैयार की जा रही अटल टनल सामरिक दृष्टि से भी अति महत्त्वपूर्ण है। सीमा पर सेना की ताकत बढ़ाने के लिए मनाली-लेह मार्ग से ही सेना की रसद को ले जाया जाता है। ऐसे में अटल टनल के तैयार होने के बाद सेना के वाहनों को रोहतांग दर्रे से होकर लाहुल नहीं पहुंचना पड़ेगा। कम समय में जहां सेना के जवान सीमा पर पहुंच सकेंगे, वहीं लाहुल-स्पीति की किस्मत भी टनल के बनते ही बदल जाएगी। पर्यटन गतिविधियों की बात करें तो अटल टनल के तैयार होते ही देश-विदेश के सैलानी असानी से लाहुल-स्पीति पहुंच सकेंगे। रविवार को एडीजी अनिल कुमार ने अपने दौरे के दौरान बीआरओ के जवानों द्वारा टनल के भीतर किए गए कार्र्य की जमकर प्रशंसा भी की है।