वनकाटुओं पर ड्रोन से नजर रखेगा विभाग, वन महकमे की योजना, खरीददारी को कैंपा-जायका से होगी फंडिंग

शिमला – वन महकमे ने जंगलों को वन काटुओं से बचाने और जंगलों की रैकी के लिए ड्रोन की मदद लेने का फैसला लिया है। ड्रोन कैमरों की मदद से जंगल की रखवाली की जाएगी। इन कैमरों से देखा जाएगा कि किस जंगल में किस तरह की गतिविधियां चल रही हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य के संवेदनशील जंगलों पर पहले चरण में ड्रोन को तैनात करने की योजना है। जल्दी ही वन विभाग ऐसे ड्रोन कैमरे खरीदने जा रहा है, जिससे जंगल पर नजर रहेगी। इसके लिए कंपनियों से बातचीत भी शुरू हो गई है। संवेदनशील जंगलों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है, जहां पर ड्रोन कैमरों को लगाया जाएगा। इसके लिए फंडिंग का भी पूरा इंतजाम है। राज्य के कैंपा फंड और जायका प्रोजेक्ट से इसके लिए बजट दिया जाएगा। हाल ही में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि ड्रोन कैमरे इन दोनों प्रोजेक्ट्स से लिए जाएंगे,क्योंकि अभी तक यह प्रोजेक्ट अन्य काम करता रहा है, मगर पहली दफा इससे दूसरी गतिविधियों को भी शुरू किया जा रहा है। इससे पहले फोरेस्ट गार्ड को भी बॉडी कैम देने का निर्णय लिया गया है, जो भी इन्हीं फंड से होगा। जानकारी के अनुसार दो करोड़ रुपए की धनराशि इस काम के लिए रखी गई है जिसमें बॉडी कैम के साथ कुछ मात्रा में ड्रोन कैमरे भी खरीदे जाएंगे। प्रदेश में कई संवेदनशील जंगल है, जिनमें सीमाई क्षेत्रों के जंगल सबसे प्रमुख हैं। इन सीमाई क्षेत्रों में वन काटुओं की गतिविधियां लगातार जारी रहती हैं। हालांकि यहां पर गार्ड की तैनाती है, मगर पूरी तरह से वे जंगल को नहीं छान पाते हैं। संवेदनशील एरिया में पेट्रोलिंग व्हीकल भी अलग से दिए जाने का प्रावधान अब किया जा रहा है। जल्दी ही इन जंगलों में पेट्रोलिंग व्हीकल लेकर वन विभाग के कर्मचारी गश्त करते हुए नजर आएंगे। संवेदनशील क्षेत्रों की बात करें तो इनमें 12 डिवीजन ऐसे हैं, जो कि सीमा के साथ सटे हुए हैं और वहां पर वन काटुओं की गतिविधियां चलती रहती हैं। इनमें नूरपूर का एरिया, नालागढ़ बीट, ऊना के साथ सटे जंगल, पांवटा, नाहन, चुराह, लाहुल-स्पीति तथा राजगढ़ डिवीजन के अलावा चौपाल व रोहडू की सीमाआें से सटे जंगल शामिल हैं। चार करोड़ रुपए यहां पर अतिरिक्त रूप से सुरक्षा के लिहाज से खर्च किया जाएगा।