राष्ट्रीय शिक्षा नीति: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में बढ़ेंगी सीटें,  महंगी हो जाएगी एजुकेशन

देश में 34 साल बाद आई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ कालेज एजुकेशन का चेहरा पूरी तरह से बदलने वाली है। यूएस में सेट की तर्ज पर यूनिवर्सिटीज और कालेजों में एडमिशन के लिए 2022 में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लागू होगा, जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) साल में दो बार करवाएगी। चार साल के क्रिएटिव कॉम्बिनेशन के साथ डिग्री स्ट्रक्चर बदलेगा। एक और बड़ा बदलाव है डिग्री देने के लिए इंस्टिट्यूशन को एफिलिएशन के बजाय ग्रेडेड ऑटोनोमी दी जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इन कई पहलुओं पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि पॉलिसी में शामिल बदलाव अगर सही तरीके से लागू होते हैं, तो क्वालिटी एजुकेशन शिक्षा का स्तर जरूर ऊंचा होगा। बतर्शे सस्ती शिक्षा को ध्यान में रखा जाए।

नई शिक्षा नीति के साथ चार साल का ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी की लिए नया नहीं है। डीयू के पूर्व वाइस चांसलर दिनेश सिंह दिल्ली विवि में 2013 में चार साल का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम लेकर आए थे। हालांकि यूजीसी के निर्देश पर 2014 में इसे खत्म कर दिया गया था। आईआईटी के डायरेक्टर प्रो रामगोपाल राव कहते हैं कि पॉलिसी में मल्टी-डिसप्लीनरी अप्रोच सबसे खास है। एक इंजीनियर को कई स्किल चाहिए और उसे दूसरे फील्ड का ज्ञान होना चाहिए। नई शिक्षा नीति सभी आईआईटी को अब साइंस के अलावा दूसरे नए क्षेत्रों को एक्सप्लोर करने का मौका देगा। साथ ही, पॉलिसी 50 फीसदी ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो तक पहुंचने की बात कर रही है।

यानी सभी आईआईटी की इनटेक कैपिसिटी बढ़ेगी और हम अपने कैंपस को भी विस्तार दे सकेंगे। शिक्षाविद और वैज्ञानिक डा. एसके सोपोरी कहते हैं, नई पॉलिसी में इसका ख्याल रखना बहुत जरूरी है कि आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा महंगी न हो। जब तक क्वालिटी एजुकेशन तक हर स्टूडेंट की पहुंच नहीं होगी, कोई फायदा नहीं है।