कोरोना वायरस संक्रमण का न्यू-जेनरेशन तोड़; वैक्सीन और इलाज, दोनों का करेगा काम

एजेंसियां — वाशिंगटन

एक ओर जहां दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस इन्फेक्शन से शरीर को बचाने के लिए वैक्सीनें विकसित करने में जुटे हैं, वहीं एक नई जेनरेशन के इलाज की खोज का दावा भी किया गया है। यह लोगों को इन्फेक्शन की चपेट में आकर बीमार पड़ने से भी बचाएगा और उनकी जान की सुरक्षा भी करेगा। अगर इनसानों पर इस थैरेपी के नतीजे सफल होते हैं तो अगले साल की शुरुआत में इसे तैयार किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से लोगों को बिना सोशल डिस्टेंसिंग के घूमने की आजादी मिल सकती है। उधर, दुनिया को कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन 12 अगस्त को मिलने जा रही है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कन्फर्म कर दिया है कि वे इसी हफ्ते वैक्सीन को रजिस्टर करेंगे, लेकिन कई एक्सपर्ट्स ने इस पर सवाल उठाए हैं। वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कहा है कि उन्हें रूसी वैक्सीन से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी या डाटा मुहैया नहीं कराया गया है।

यूं होगा इलाज

इस सार्स ब्लॉक थैरेपी को अमरीका में विकसित किया जा रहा है और ब्रिटेन के निवेशक इसे फंड दे रहे हैं। इसे कोरोना वायरस पर आधारित सिंथेटिक प्रोटीन सीक्वेंस से बनाया गया है। यह एक कॉर्क की तरह काम करता है और वायरस को शरीर के वायरस रिसेप्टर सेल्स में दाखिल होने से रोकता है। ये इलाज न सिर्फ वायरस की शरीर में एंट्री को रोकेगा, बल्कि उसे पहचान कर शरीर के इम्यून सिस्टम को उससे लड़ने के लिए तैयार भी करेगा।

95-100 फीसदी तक कारगर

इसे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक्सपर्ट्स स्टडी कर रहे हैं और लैब स्टडी के नतीजे प्रीप्रिंट जर्नल बायोआर्काइव में छपे थे। अभी तक यह पाता गया है कि यह 95-100 फीसदी तक वायरस को शरीर में दाखिल होने से रोक सकती है। इसके साथ ही ऐसी वैक्सीनों की जरूरत भी खत्म हो जाएगी, जिनके बार-बार इंजेक्शन की जरूरत हो और जो सिर्फ कोविड-19 की गंभीरता को खत्म कर सकती हों।