कोरोना काल में जलवायु परिवर्तन, मानव विकास और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियां

चंडीगढ़ – प्रोफेसर रुमकी बसु ने आज कहा कि कोविड-19 महामारी ने कल्याणकारी राज्य की जरूरत को पुख्ता किया है।जामिया मिलिया इस्लामिया के राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर बसु यहां पंजाब विश्वविद्यालय के ‘पब्लिक पॉलिसी – थियरी एंड प्रैक्सिस‘ विषय पर एक वेबिनार में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, मानव विकास और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों से निबटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वित्त को कल्याणकारी राज्य बनाने में लगाना होगा। उन्होंने सार्वभौमिक नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा के अधिकार और रोजगार के अधिकार पर राजनीतिक विमर्श के केंद्र में लाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

प्रोफेसर बसु ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली, गरीबों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, निजी असंगठित क्षेत्र को सुरक्षा मुहैया कराना आदि ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कोरोना काल में सार्वजनिक नीति निर्णय लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महामारी से विश्व जूझ रहा है, भारत में तीन महीने का लॉकडाऊन किया गया और यही वह समय था जब भारतीय राज्य की केंद्रीयता ने लोगों की सामूहिक चेतना में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसी आबादी वाले देश को लॉक डाऊन करना आसान नहीं था औैर जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए लोगों की स्वतंत्रता में कटौती प्रभावोत्पादकता से की गई।

उन्होंने कहा कि केवल सक्षम सार्वजनिक संस्थान ही नहीं पर लोगों की बड़े पैमाने पर सहभागिता और प्रभावी राजनीतिक संप्रेषण सफल सार्वजनिक नीति के अमल के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था , ताकतों के केंद्रीय विभाजन की समझ, जानकारी के खुले प्रवाह और नागरिकों से लगातार फीडबैक की व्यवस्था नीति निर्धारण, सार्वजनिक नीतियों के अमल और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने केरल मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि केरल में इस संकट का सामना बेहतर तरीके से किया गया। उन्होंने कहा कि वहां सक्षम सार्वजनिक संस्थान हैं और केरल सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) सूचकांक और मानव विकास सूचकांक में पहले नंबर पर है और अन्य राज्यों को इसका अनुसरण करना चाहिए।