मोटे लोगों पर ज्यादा असरदार नहीं होगा टीका, अमरीकी अध्ययन में जताई आशंका

वाशिंगटन-मोटापे के शिकार लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। अब एक अमरीकी अध्ययन में आशंका जताई गई है कि सार्स-कोव-2 वायरस से लड़ने वाला टीका उन लोगों की सुरक्षा में ज्यादा असरदार नहीं साबित होगा, जिनके शरीर में भारी मात्रा में चर्बी जमी हुई है। अलबामा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फ्लू और हैपेटाइटिस-बी के टीके का हवाला दिया, जो 2017 में हुए शोध में सामान्य से अधिक वजन वाले लोगों में संबंधित संक्रमण का मुकाबला करने में सक्षम एंटीबॉडी पैदा करने में कुछ ज्यादा कारगर नहीं मिले थे।

यही कारण है कि मोटे लोग न सिर्फ दोनों संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, बल्कि उनके गंभीर अवस्था में पहुंचने के साथ ही अंग खराब होने और जान जाने का खतरा भी ज्यादा रहता है। कोविड-19 से बचाव में कारगर टीके के मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थितियां पनप सकती हैं।

मुख्य शोधकर्ता डा. चाड पेटिट के मुताबिक मोटापे से जूझ रहे लोगों में संक्रमण रोधी टीके के कम असरदार होने के दो मुख्य कारण हैं। पहला, टी-कोशिकाओं का ठीक तरह से काम नहीं करना। प्रतिरोधक तंत्र को एंटीबॉडी पैदा करने का संदेश टी कोशिकाएं ही देती हैं। दूसरा, प्रतिरोक्षक क्षमता के सक्रिय होने से शरीर में सूजन बढ़ना। इससे ‘मैक्रोफेज’ नाम की विशेषज्ञ कोशिकाओं का उत्पादन घट जाता है, जो खतरनाक तत्वों को नष्ट करने के लिए अहम मानी जाती हैं। फ्लू और हैपेटाइटिस-बी के टीके का प्रभाव भी इन्हीं वजहों से घट जाता है।

सुई का आकार अहम

वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. विलियम शैफनर ने कहा कि मोटे लोगों में टीकाकरण के समय सुई का आकार काफी मायने रखता है। पारंपरिक रूप से इस्तेमाल होने वाली एक इंच लंबी सुई से टीका लगाने पर मोटे लोगों में मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने की संभावना बेहद कम हो जाती है। ऐसे में डाक्टरों को थोड़ी बड़े आकार की सुई से टीकाकरण करना चाहिए, ताकि दवा मांसपेशियों तक पहुंच सके।

टीकाकरण बेहद जरूरी

शैफनर ने स्पष्ट किया कि फ्लू और हैपेटाइटिस-बी की तरह ही कोरोना का टीका भले ही मोटे लोगों में संक्रमण रोकने में ज्यादा मददगार न हो, लेकिन उनमें कुछ हद तक सुरक्षा कवच तो जरूर विकसित होता है। यानी अगर वे वायरस की जद में आते हैं, तो उनके गंभीर अवस्था में पहुंचने या फिर काल के गाल में समाने का जोखिम घट जाता है। ऐसे में टीका कोविड-19 से बचाव में मदद करेगा या नहीं, इस बारे में सोचे बगैर टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए।