नए आर्किटेक्चरल एजुकेशन रेगुलेशन एक्ट की शुरुआत, रमेश पोखरियाल ने किया लांच

 भारतीय वास्तुकला बताई हजारों साल पुरानी

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने न्यूनतम मानक आर्किटेक्चरल एजुकेशन रेगुलेशन एक्ट-2020 का शुभारंभ किया। काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रयासों से पहली बार भारत में 38 वर्षों के बाद आर्किटेक्चर में इन सुधारों को लाया गया है।  इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, सचिव शिक्षा और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अमित खरे, काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के अध्यक्ष आर हबीब खान, उपाध्यक्ष सपना व रजिस्ट्रार आरबी ओबेरॉय उपस्थित थे। इनके अलावा वास्तु संस्थानों के प्रमुख, सीओए के कार्यकारी सदस्य और अन्य अधिकारी और परिषद के सदस्य मौके पर मौजूद रहे। इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने वास्तुकला विद्यालयों के प्रमुखों तथा विद्यार्थियों से भारतीय वास्तुकला को समृद्ध बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि वे भारतीय वास्तुकला को समृद्ध बनाने का भरसक प्रयत्न करें। उन्होंने कहा कि भारतीय वास्तुकला पद्धति  हजारों साल पुरानी है।

सिंधु घाटी सभ्यता, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो से लेकर आजतक भारतीय भवन निर्माण प्रणाली न केवल वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है बल्कि अपने आप में एक विशिष्ट कला है। उन्होंने कहा कि वास्तुकला परिषद के प्रयत्नों की सराहना करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय वास्तुकला परिषद इसके कार्यों के लिए हर संभव सहायता करेगा। वास्तुविद अधिनियम 1972 में यदि कोई संशोधन करने हैं तो वास्तुकला परिषद ऐसे सुझाव मंत्रालय को भेजे। वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष हबीब खान ने श्री निशंक का धन्यवाद करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि वास्तुकला परिषद वास्तु शिक्षा के विकास तथा उत्थान के लिए भरपूर प्रयास करेगी।

गौरतलब है कि वास्तुकला परिषद वास्तुविद अधिनियम 1972 के अधीन स्थापित की गई है तथा यह वास्तुशिक्षा के न्यूनतम मानकों तथा वास्तुविद व्यवसाय के मानकों का निर्धारण और निगरानी करती है। परिषद पूरे देश के वास्तुविदों का पंजीकरण भी करती है। वहीं, अमित खरे, सचिव शिक्षा ने सीओए की पहल की सराहना की। आरके ओबेरॉय, रजिस्ट्रार, सीओए की भूमिका को इन विनियमों को प्रकाश में लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए बहुत सराहना मिली। इससे पहले शिक्षा मंत्री पोखरियाल ने परिषद के आर हबीब खान के काम की सराहना की।