राफेल गेम चेंजर है

-नरेंद्र कुमार, भुजड़ू, मंडी

राफेल जुलाई 1986 में फ्रांस की बहु भूमिका डसॉल्ट राफेल द्वारा बनाया गया 4.5 पीढ़ी का एक फाइटर जेट है। जुलाई 4, 1986 में इसका पहला ट्रायल किया गया था। 29 जुलाई 2020 को अंबाला एयरबेस पर पांच हवाई जहाज उतारे गए हैं। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया विमान का स्वागत करने के लिए अंबाला एयरबेस में मौजूद थे।

भारत के लोगों ने भी राफेल की लैंडिंग का स्वागत किया। यह दो सरकारों के बीच प्रत्यक्ष सौदा है, जो 36 वायु विमानों के लिए किया गया था। ये हवाई जहाज विशेष रूप से हमारी सुरक्षा के लिए खेल परिवर्तक साबित होंगे, खासकर चीन के विरुद्ध। चीन के पास 5वीं पीढ़ी का एक विमान है, लेकिन राफेल नवीनतम तकनीक का एक बेहतर विमान है।

राफेल का कोई मुकाबला नहीं है। इसलिए चीन को मिर्ची लगी है। चीन के पास राफेल का कोई तोड़ नहीं है। चीन के पास क्षेत्र प्लस नीति है। लेकिन चीन को यह समझना चाहिए कि ब्रिटिश शासन का समय समाप्त हो चुका है। यह 1962 नहीं, 2020 है। हमारी सरकार सेना को नवीनतम तकनीक का गोला-बारूद प्रदान कर रही है। सैनिक अपनी बहादुरी और नवीनतम तकनीक के साथ हमेशा सामना करने और मरने के लिए तैयार हैं।

उनका एकमात्र उद्देश्य या तो कुछ कर दिखाना या फिर देश के लिए मर मिटना है। उन्होंने गलवान घाटी में इसे साबित भी किया है। इसलिए चीन को यह क्षेत्र प्लस नीति छोड़ देनी चाहिए। यह अपनी जगह पर और शांति से रहने का समय है। राफेल के आने से निश्चित रूप से हमारी सेनाओं को जबरदस्त मजबूती मिलेगी।