श्रीराम के जन्म स्थल पर भूमि पूजन के साथ भव्य राम मंदिर का सपना साकार

अयोध्या – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्म स्थली पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश दुनिया के करोड़ों रामभक्तों के सदियों से खुली आंखों से देखे जा रहे सपने को साकार कर दिया। श्री मोदी ने अपने ऐतिहासिक दौरे की शुरुआत हनुमानगढ़ी के दर्शन कर की, जिसके बाद उन्होंने श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दर्शन किए और आरती उतारी। बाद में प्रधानमंत्री पीले रंग के कुर्ते,सफेद धोती और भगवा गमछा धारण किए भूमि पूजन के लिए चौकी पर विराजे। काशी के प्रकांड तीन विद्वानों ने भूमि पूजन का अनुष्ठान शुरू किया।

श्री मोदी को यजमान के तौर पर संकल्प दिलाया गया और गणेश पूजन के साथ भूमि पूजन का कार्यक्रम शुरू हो गया। इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत मौजूद थे। पुरोहितों ने प्रधानमंत्री से विधिवत पूजा अर्चना कराई। इस दौरान चांदी की नौ शिलाओं का पूजन किया गया। करीब 12 बजे शुरू हुआ भूमि पूजन कार्यक्रम करीब 48 मिनट चला। अभिजीत मुहुर्त में भूमि पूजन और शिला पूजन संपंन होने के बाद श्री मोदी ने साक्षात दंडवत कर देश की तरक्की और कोरोना के नाश का वरदान प्रभु श्रीराम से मांगा। भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद हर-हर महादेव,जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का मंदिर समृद्धता से परिपूर्ण भारतीय संस्कृति की आधुनिकता का परिचायक होगा और मंदिर के बनने से न सिर्फ पौराणिक नगरी की भव्यता बढ़ेगी, बल्कि इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीराम का संदेश है कि अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। यह भी श्री राम की नीति है कि भय बिन होय न प्रीति। देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति, यही रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।

जब रामलला की भेंट कार में ही भूले प्रधानमंत्री!

अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर रामलला को भेंट चढ़ाने अपने साथ कुंभ कलश लेकर आए थे। हालांकि, चांदी के उस कुंभ कलश को वह अपनी कार में ही भूल गए। जब वह कार से उतर कर पूजा स्थल की तरफ बढ़े, तो उन्हें राम लला के लिए लाई गई उस भेंट की याद आई। फिर प्रधानमंत्री खुद कार की तरफ  चल पड़े और कार से वह भेंट ली और फिर पूजा स्थल पर पहुंचे और रामलला को वह कुंभ कलश भेंट किया।