एसएमसी शिक्षक बाहर, आर एंड पी नियमों की अवहेलना का था आरोप

विधि संवाददाता — शिमला

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए एसएमसी अध्यापकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर फैसला सुनाया। मामले के अनुसार प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों ने सरकार द्वारा स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां को हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी है और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है।

प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत हैं। इससे सभी को समान अवसर जैसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। दूसरी तरफ एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रुकावट के अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन प्रदेश सरकार द्वारा नियमों के तहत किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह छह महीनों के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे।

पीटीए शिक्षकों को नियमित करने पर मांगा जवाब

शिमला – हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पीटीए शिक्षकों को नियमित करने संबंधित राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जबाब-तलब किया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पश्चात प्रदेश मंत्रिमंडल ने बीते दिनों पीटीए शिक्षकों को नियमित करने को मंजूरी दी थी। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीटीए अध्यापकों का नियमितीकरण अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार ने पीटीए अध्यापकों को नियमित करने का जो फैसला लिया है, वह सरासर गलत है।

याचिकाकर्ता के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में पीटीए अध्यापकों को नियमित करने के बारे में कोई जिक्र नहीं है। पीटीए अध्यापकों को नियमित करना भर्ती व पदोन्नति नियमों का सरासर उल्लंघन है। मामले में पीटीए शिक्षक संघ और कुछ पीटीए शिक्षकों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। गौरतलब कि कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी शिक्षकों की सेवाओं को जारी रखने बाबत फैसला सुनाया था। इसे आधार मानकर राज्य मंत्रिमंडल ने इन शिक्षकों को नियमित करने का फैसला ले लिया था। मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई होगी।