वीवो के जाने के बाद फ्रैंचाइजी और बीसीसीआई के बीच तनातनी, नुकसान की भरपाई करे बोर्ड

नई दिल्ली — इंडियन प्रीमियर लीग 2020 को लेकर अभी तक बीसीसीआई और फ्रैंचाइजीज के बीच अभी आम सहमति नहीं बन पाई है। फ्रैंचाइजी और बोर्ड के बीच तनातनी की मुख्य वजह आर्थिक हैं। फ्रैंचाइजी अपने नुकसान की भरपाई की चाहते हैं, लेकिन बोर्ड के पास भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं। तो आखिर है फ्रैंचाइजी की मांग और क्या हैं बोर्ड के पास संभावित रास्ते। यह आईपीएल बिना दर्शकों के खेला जाएगा। ऐसे में फ्रैंचाइजी चाहते हैं कि गेट-मनी न होने के नुकसान की भरपाई बोर्ड करे। गेट-मनी यानी दर्शकों के मैदान में आने से टिकटों से होने वाली कमाई। नियमानुसार यह कमाई घरेलू फ्रैंचाइजी के हिस्से में जाती है। एक अनुमान के अनुसार एक मैच से टीम को करीब 3-3.5 करोड़ रुपए की कमाई होती है।

वीवो गया, इसका भी नुकसान
चीनी मोबाइल कंपनी वीवो की भारतीय शाखा, वीवो इंडिया इंडियन प्रीमियर लीग का टाइटल स्पॉन्सर था। चीन के साथ भारत के मौजूदा विवाद के चलते कंपनी ने इस साल टाइटल स्पॉन्सरशिप से अपना नाम वापस ले लिया है। कंपनी का कहना है कि इस समय माहौल चीन के खिलाफ है और ऐसे में उसे आईपीएल के साथ रहने का कोई फायदा नहीं। आईपीएल पर भी दबाव था कि वह चीनी स्पॉन्सर से खुद को दूर करे, लेकिन इसके साथ ही बोर्ड के सामने रेवेन्यू का सवाल आ गया है।

दरअसल, वीवो हर साल के लिए बोर्ड को 440 करोड़ रुपए देता है। इसमें से आधे बोर्ड के पास रहते हैं और बाकी आधे आठों फ्रैंचाइजी में बराबर बंटते हैं। यानी एक फ्रैंचाइजी को करीब 28 करोड़ रुपए मिलते हैं। अब वीवो के जाने के बाद टीमें चाहती हैं कि या तो बोर्ड इसकी भरपाई करे या फिर जितनी जल्दी हो सके विकल्प तलाशे।