700 करोड़ रुपए की एकीकृत विकास परियोजना शुरू होने से पहले ही विवादों में

प्रोजेक्ट के लिए सोसायटी से प्रोमोट किए कर्मचारियों को जयराम सरकार ने किया डिमोट

वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रायोजित हिमाचल सरकार की 700 करोड़ रुपए की एकीकृत विकास परियोजना धरातल पर शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गई है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में कार्यान्वित किए जा रहे विभिन्न प्रोजेक्टों को सुचारू रूप से चलाने के लिए वन विभाग के बैनर तले बनी एचपी नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट सोसायटी के

तहत प्रोमोट किए गए कर्मचारियों की प्रोमोशन पर सरकार ने रोक लगा दी है। इन कर्मचारियों की प्रोमोशन को लेकर एचपी नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट सोसायटी की कार्य समिति द्वारा अप्रूवल दी गई थी। इनमें से कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्हें कार्य करते हुए करीब 15 वर्ष का समय भी हो चुका है। ऐसे में ये कर्मचारी सोसायटी की कार्यकारी समिति से अप्रूवल मिलने के बाद से ही बेहद खुश थे।

 इसी संदर्भ में सोसायटी ने इन्हें पांच सितंबर, 2020 को प्रोमोशन का तोहफा दिया था। करीब 10 दिन बाद ही 16 सितंबर को सरकार ने सोयायटी के फैसले को पलट दिया और इनकी प्रोमोशन को रद्द कर दिया। सोसायटी द्वारा इन्हें डाटा एंट्री ऑपरेटर से कम्प्यूटर ऑपरेटर, चतुर्थ श्रेणी से डाटा एंट्री ऑपरेटर और विलेज गु्रप ऑर्गेनाइजर से सोशल एक्सटेंशन अफसर के पदों पर प्रोमोट किया था। यही नहीं, इनमें से कई कर्मचारियों को नया स्टेशन भी प्रदान किया गया था, जिन पर इन्होंने ज्वाइनिंग भी दे दी थी। इससे इन कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष है। बताया जा रहा है कि ये कर्मचारी अपने हक के लिए सरकार के इस फैसले के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। जिन कर्मचारियों को प्रोमोशन के बाद इनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया है, उनमें ऊना, सोलन, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी के शामिल हैं।

प्रोमोशन से संबंधित और इनके रद्द होने की अधिसूचना ‘दिव्य हिमाचल’ के पास मौजूद है। गौर हो कि मौजूदा समय में वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रायोजित कई प्रोजेक्ट प्रदेश में संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से सबसे प्रमुख 700 करोड़ रुपए की एकीकृत विकास परियोजना है। इसके अलावा शिमला से जायका और धर्मशाला से केएफडब्ल्यू प्रोजेक्ट शामिल हैं। केएफडब्ल्यू इको सिस्टम डिवेलपमेंट पर आधारित परियोजना है, जिसके लिए जर्मन बैंक द्वारा फंडिंग की जाती है। जानकारी के अनुसार एकीकृत विकास परियोजना को वर्ल्ड बैंक ने 11 मार्च, 2020 को मंजूरी दी थी। इसके बाद 28 मई, 2020 को यह परियोजना प्रभाव में आई, लेकिन जायका और केएफडब्ल्यू प्रोजक्ट पहले से ही प्रदेश में चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि जायका पर अभी तक चार से पांच प्रतिशत ही राशि खर्च हो पाई है। इसके अलावा 300 करोड़ रुपए के केएफडब्ल्यू प्रोजेक्ट के तहत अभी तक प्रदेश करीब 100 करोड़ रुपए भी खर्च नहीं कर पाया है। इन्हीं तीनों परियोजनाओं के लिए एचपीएनआरएम सोसायटी से करीब 45 कर्मचारियों को प्रोमोट किया गया था, जिन्हें बाद में सरकार ने डिमोट कर दिया। गौर रहे कि सोसायटी के तहत पूरे प्रदेश में 404 लोग कार्यरत हैं। एक्जीक्यूटिव अफसर एकीकृत विकास परियोजना सोलन अशोक चौहान ने कहा कि मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। इस संदर्भ में अभी अधिक जानकारी नहीं है।