कोरोना भी, संसद भी

हम पहली बार देख रहे हैं कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के बावजूद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई है। यह निर्णय और प्रयास स्वागतयोग्य है और गणतांत्रिक मूल्यों के प्रति विश्वास को मजबूत करता है। बेशक सावधानियां बरती गई हैं। देश सतर्क भी है, लेकिन महामारी के खतरे अपने ही हैं। सांसदों को किट्स बांटी गई हैं। प्रत्येक किट में 40 डिस्पोजल एन-95 मास्क, सेनिटाइजर की 20 बोतलें, 40 गलब्स और दरवाजा बंद करने के लिए टच फ्री हुक्स आदि को रखा गया है। सावधानियों के बावजूद भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 50 लाख को छू रही है। करीब 80,000 मौतें हो चुकी हैं। सितंबर के पहले 12 दिनों में ही 10 लाख संक्रमित मरीज सामने आए और 13,000 से ज्यादा मौतें हुईं।

दुनिया में कोरोना से हररोज जितनी मौतें हो रही हैं, उनका एक-चौथाई भारत में ही हैं। बेशक संक्रमण के आधार पर भारत दुनिया में दूसरे स्थान  पर है, लेकिन अमरीका और ब्राजील से तीन गुना ज्यादा संक्रमित मरीज भारत में हररोज मिल रहे हैं और मौतें भी लगभग दुगुनी हो रही हैं। ऐसा लगता है मानो हमारा जन-स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा ही चरमरा गया हो! ऐसे भयावह संक्रामक परिवेश में संसद के मॉनसून सत्र का आगाज हुआ है, तो यकीनन तय है कि कोरोना के साथ-साथ  जिंदगी भी चलेगी, कोरोना का सामना किया जाएगा, तो संसद अपना गणतांत्रिक दायित्व भी निभाएगी। संसद परिसर में बड़े अजीब, अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल को बंद किया गया है। जिन दीर्घाओं में आम दर्शक और पत्रकार बैठते थे, वहां अब सांसद बैठेंगे। करीब 300 पत्रकारों के बजाय सिर्फ  39 को ही दीर्घा तक जाने की अनुमति दी गई है। पत्रकारों को बारी-बारी से जाने और बैठने की अनुमति होगी। अलबत्ता समाचार एजेंसियों आदि के सात पत्रकारों को स्थायी तौर पर छूट दी गई है।

संसद भवन में कई जगह आने-जाने पर पाबंदी लगाई गई है। राज्यसभा सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बैठेगी और लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न 3 बजे से 7 बजे तक चलेगी। यानी सिर्फ  4 घंटे की संसदीय कार्यवाही…! कुल 18 बैठकों के दौरान 47 बिल पारित किए जाने हैं। इनमें 11 अध्यादेश होंगे, जिन्हें अब बिल के तौर पर पारित किया जाएगा। यह भी बीते 2-3 दशकों के दौरान पहली बार देखा गया है कि सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक भी नहीं की गई। प्रश्नकाल और निजी विधेयक की व्यवस्था तो पहले ही खारिज की जा चुकी थी। लिहाजा यह संसद सत्र आधा-अधूरा ही होगा। हालांकि कोरोना वायरस, चीन, राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी आदि मुद्दे बहसतलब होने चाहिए, लेकिन नई बंदिशों में सांसद अपना विरोध कैसे जता पाएंगे, यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि विपक्षी सांसदों की अध्यक्ष के आसन तक जाने और नारेबाजी कर हंगामा बरपाना आदत-सी रही है। इधर एक बड़ी ख़बर उद्घाटित हुई है कि चीन की कंपनियां 10,000 से अधिक भारतीय और संगठनों की जासूसी करवा रही हैं और  एक डाटाबेस तैयार कर रही हैं।

इनमें 5 पूर्व प्रधानमंत्री, 24 मुख्यमंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व एवं मौजूदा राज्यपाल, 350 के करीब सांसद, सेना के पूर्व एवं मौजूदा बड़े अधिकारी और चीफ, प्रधान न्यायाधीश, पत्रकार, उद्योगपति आदि शामिल हैं, जिनके जरिए संवेदनशील सूचनाएं इकट्ठा करने की साजिश रची गई है। यकीनन यह देश की सुरक्षा से जुड़ा बेहद गंभीर विषय है, लिहाजा महत्त्वपूर्ण होगा कि संसद में इस पर कैसी और कितनी गंभीर बहस होती है और संसद किस आशय का प्रस्ताव पारित करती है? संसद में मुंबई का हालिया ड्रग्स मामला तो उठाया गया है। बहरहाल संसद से जुड़े 4000 से ज्यादा लोगों के कोरोना टेस्ट किए गए हैं। अभी तक की जानकारी यही है कि 25 सांसद संक्रमित पाए गए हैं जिनमें 17 लोकसभा के हैं। इसके अलावा संसदीय स्टाफ  के कुछ सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। कुछ 65 साल की उम्र से अधिक के सांसदों ने खुद ही तय किया है कि वे कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। ईश्वर इस प्रयास को सुरक्षित रखे और कामयाबी दे, ताकि विधायी और संसदीय कामकाज किया जा सके।