होम्योपैथी पर फोकस की जरूरत

संसद में लोकसभा सदस्य सुरेश कश्यप ने उठाया मसला

हिमाचल में होम्योपैथिक का काम ऐसे है, जैसे ऊंट के मुंह में जीरा। जी हां, दिल्ली की संसद में सांसद सुरेश कश्यप ने यह मामला उठाया। सांसद द्वारा हिमाचल में होम्योपेथिक पर होने वाले कार्यों का मामल उठाने के बाद प्रदेश के होम्योपैथिक चिकित्सकों को भी उम्मीद की एक किरण जगी है। हिमाचल होम्योपैथिक चिकित्सक संघ ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप का धन्यवाद किया है। संघ के महासचिव डा. अवनीश कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत हिमाचल में भी होम्योपैथी के प्रसार के लिए कदम उठाए। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि  हिमाचल में अब पीएचसी व सीएचसी के स्तर पर होम्योपैथी के केंद्र खोले जाए, और वहां पर होम्योपैथिक चिकित्सकों को नियुक्तियां दी जाएं, ताकि हिमाचल की जनता इस अद्वितीय चिकित्सा प्रणाली का लाभ ले सके।

 इस अवसर पर संघ के पदाधिकारी डा. विनोद नेगी,  डा. सुनील सहोत्रा, डा. विवेक परमार एवं डा. रजनीश कौशल भी मौजूद रहे। होम्योपैथिक चिकित्सक संघ के महासचिव ने कहा कि जहां तक आयुष चिकित्सा-प्रणाली केंद्रों की बात है, तो हिमाचल में दो क्षेत्रीय, 30 आयुर्वेदिक अस्पताल, 1150 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र, एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, तीन यूनानी चिकित्सा केंद्र, 19 क्षार सूत्र केंद्र, 17 पंचकर्मा केंद्र हैं, परंतु इतने वर्षों में होम्योपैथी के केवल और केवल 14 होम्योपैथिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। प्रदेश में एक होम्योपैथिक मेडिकल कालेज निजी क्षेत्र में चल रहा है, जहां से हर वर्ष लगभग 50 होम्योपैथिक डाक्टर बन कर निकलते हैं। फिलहाल संघ के सदस्यों ने मांग उठाई है कि प्रदेश में हौम्योपैथिक स्वास्थ्य प्रणाली पर भी सरकार फोकस करे।