अभी तीन साल नहीं मिलेगा आलू बीज, फसल में वायरस पाए जाने के बाद मिट्टी की ट्रीटमेंट तेज

हिमाचल प्रदेश में किसानों को आलू बीज के लिए अभी तीन साल और दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान निमोटोड वायरस के ट्रीटमेंट में जुटा हुआ है। इसमें अभी तीन साल का और समय लगेगा। ऐसे में प्रदेश के आलू उत्पादकों को बीज के लिए आगामी समय में भी परेशानी का सामना करना पडे़गा। बताते चलें कि आलू में नीमोटोड वायरस पाए जाने के बाद सीपीआरआई के आलू बीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्र्रतिबंध के बाद सीपीआरआई ने फार्म में मिट्टी की ट्रीटमेंट का कार्य शुरू कर दिया गया था। पिछले तीन सालों से लगातार मिट्टी का ट्रीटमेंट किया जा रहा है।

मिट्टी को पूरी तरह से ट्रीट करने में अभी तीन साल का और समय लगेगा। मिट्टी पूरी तरह से ट्रीट होने और प्रतिबंध हटने के बाद ही सीपीआरआई द्वारा फार्म में आलू का बीज तैयार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में सीपीआरआई द्वारा फार्म में 1200 क्विंटल आलू का बीज तैयार किया जाता था। इसमें से सीपीआरआई द्वारा 500 से 600 क्विंटल बीज प्रदेश सरकार को उपलब्ध करवाया जाता था। इसे अपने फार्म में मल्टीफ्लाई करवा कर प्रदेश सरकार द्वारा आगे किसानों को उपलब्ध करवाया जाता था, जबकि शेष बीज सीपीआरआई द्वारा अपने स्तर पर किसानों को महुया करवाया जाता था, मगर प्रतिबंध के बाद सीपीआरआई द्वारा प्रदेश सरकार को बीज नहीं दिया जा रहा है।

इसका असर पिछले दिनों के दौरान देखा गया था। बीज न मिलने से किसानों को अपने स्तर पर पड़ोसी राज्य से बीज लाना पड़ा था। सीपीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एनके पांडेय ने बताया कि वायरस के चलते मिट्टी ट्रीटमेंट का कार्य चल रहा है। इसमें अभी तीन साल का और समय लगेगा। सीपीआरआई तीन साल तक आलू का बीज तैयार नहीं करेगा।