अस्पताल में आत्महत्या: डीडीयू अस्पताल के एमएस हटाए, चार्जशीट करने की भी तैयारी

कोरोना मरीज की खुदकुशी के मामले में 24 घंटे के भीतर सरकार ने उठाए बड़े कदम, चार्जशीट करने की भी तैयारी

कोविड मरीज की आत्महत्या मामले में हिमाचल सरकार ने डीडीयू अस्पताल के एमएस लोकेंद्र शर्मा को हटा दिया है। इसके अलावा सरकार के आदेश पर डा. लोकेंद्र शर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर करने की तैयारी है। इस अस्पताल में चौपाल की कोरोना मरीज ने बुधवार को फंदा लगाकर आत्महत्या की थी। इस प्रकरण के 24 घंटे के भीतर सरकार ने एक साथ कई कड़े फैसले लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को भी बदल दिया है।

इसके अलावा संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए रिवाइज्ड क्लीनिकल  मैनेजमेंट प्रोटोकॉल भी जारी कर दिया है। इसके तहत सभी डाक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देते हुए नए प्रोटोकॉल में उपचार करने को कहा गया है। सरकार ने कड़ी हिदायत दी है कि कोरोना वारियर्स डाक्टर मरीजों को रैफर करने की बजाय उनकी जान बचाने की कोशिश करें। इसके अलावा मरीजों को रैफर करने से पहले एक्सपर्ट्स की राय जरूर लें। इसके लिए मेडिकल कालेज और कोविड अस्पतालों में रैफरल कमेटी का गठन किया गया है। इस प्रोटोकॉल में कड़ी हिदायत दी गई है कि मरीजों को बड़े अस्पतालों में रैफर करने से पहले एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस तैयार रखें। सुरक्षा कवच वाली इन्हीं एंबुलेंस में गंभीर मरीजों को बड़े अस्पतालों में शिफ्ट किया जाएगा। नए प्रोटोकॉल में कंबीनेशन ड्रग देने की हिदायत दी गई है। जाहिर है कि अभी तक कोविड मरीजों को काढ़ा और पैरासिटामोल दी जा रही थी।

नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि कंबीनेशन ड्रग के तहत अब आइबर मैक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, फ्लेबी पीरावीर, हाइड्रोक्सीक्लोराक्विन और एसॉल्टीमीविब नई दवाइयों के साथ सप्लीमेंट भी दें। सभी मेडिकल कालेजों के प्रिंसीपल और अस्पतालों के एमएस व चिकित्सा अधिकारियों को इन दवाइयों की उपलब्धता करवाने की कड़ी हिदायत दी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक दर्ज कुल मौतों में से 59 कोरोना संक्रमितों ने अस्पताल पहुंचने के तुरंत बाद दम तोड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार इन मरीजों की अस्पताल में दो घंटे के भीतर मृत्यु हुई है।

इस पर सरकार ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जवाब-तलब किया है। हालांकि इसके पीछे मरीजों का अस्पतालों में समय पर न पहुंचना भी कारण हो सकता है। अब तक हुई मौतों में 22 संक्रमितों की अस्पताल पहुंचने से पहले सांस टूट चुकी थी। इन ब्रॉटडेड कोरोना मरीजों पर भी सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया है। इसके तहत मरीजों को समय रहते अस्पतालों में पहुंचाने के लिए प्रयास करने को कहा है। आम जनता से भी आह्वान किया गया है कि सर्दी-जुकाम को हल्के में न लें।

मजिस्ट्रियल जांच में संक्रमण बना बाधा

डीडीयू अस्पताल प्रकरण पर बिठाई गई मजिस्ट्रियल जांच में संक्रमण बाधा बन गया है। इस जांच के लिए एडीएम शिमला को उन कोविड मरीजों की भी स्टेटमेंट लेनी होगी, जहां महिला भर्ती थी। इसके अलावा फंदा लगाने वाली महिला के परिजनों और संबंधित डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के बयान लेना बेहद जरूरी है।

डीडीयू अस्पताल के डाक्टर और स्टाफ क्वारंटाइन है। मृतका के परिजन भी आइसोलेट कर दिए हैं। कोविड मरीजों की स्टेटमेंट लेना भी आसान नहीं है। इस कारण अब जांच अधिकारी लोगों के टेलीफोन पर बयान दर्ज कर सकते हैं।