घर में आयुर्वेद

– डा. जगीर सिंह पठानिया

सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक,

आयुर्वेद, बनखंडी

अर्जुन के फायदे

अर्जुन का बहुत बड़ा वृक्ष होता है जो कि प्रायः सारे भारतवर्ष में पाया जाता है। इस वृक्ष की टहनियों की छाल को ही औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका संस्कृत, हिंदी व इंग्लिश नाम अर्जुन व इसका बोटेनिकल नाम टर्मिनलीआ अर्जुना है।

रासायनिक तत्त्व

इसमें अर्जुनेलिक एसिड, अर्जुनीक एसिड, अर्जुनेटिक एसिड, अर्जुनोलीटीं इत्यादि रासायनिक तत्त्व पाए जाते हैं ।

मात्रा- 3-6 ग्राम छाल पाउडर, 25 ग्राम छाल क्वाथ।

गुण व कर्म- हृदय के विकारों, हृदय की टॉनिक के रूप में, मोटापे, डायबिटीज, घावों को ठीक करने में, अति पिपासा व अस्थि भग्न को ठीक करने में इसका प्रयोग किया जाता है।

हृदय रोगों में

हृत मांसपेशी की कमजोरी में इसका प्रयोग लाभप्रद है। ट्रिग्लीसेरिड्स जैसे हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को अर्जुन ठीक करता है तथा एच डी एल जैसे अच्छे कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है।  टोटल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर दिल की कोरोनरी आर्टरी को संकरा होने से बचाता है। हृदय में निकलने वाले दर्द में भी इसका प्रयोग लाभकारी है। यह हमारे रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) को भी नियंत्रित रखता है।

मोटापे को कम करने में

कार्बोहाइड्रेट्स और वसा का ठीक मैटाबॉलिज्म करते हुए उसे शरीर में जमा नहीं होने देता और शरीर के मोटेपन को दूर करने में भी सहायक है।

घावों को ठीक करने में

इसमें इसका बाह्य व अभ्यंतर दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। अर्जुन क्वाथ से घाव को साफ करने से यह उसमे बैक्टीरिया के संक्रमण को भी रोकता है।

प्यास को कम करने में

अगर किसी को बहुत ज्यादा प्यास लगती हो, तो अर्जुन छाल पाउडर व क्वाथ उसमे भी लाभकारी है।

अस्थिभग्न को ठीक करने में

अर्जुन संधान कारक भी है इसलिए टूटी हड्डियों को जोड़ने में सहायता करता है।