गर्म बिलासपुर में ग्रोथ करेगी ठंडे पहाड़ों की रानी, तत्तपानी तक होगी प्रोडक्शन

अश्वनी पंडित, बिलासपुर
हिमाचल के ऊपरी इलाकों में पलने वाली रेनबो और ब्राउन ट्राउट प्रजाति की मछली अब गर्म बिलासपुर जिला में भी ग्रोथ करेगी। मत्स्य विभाग ने पायलट आधार पर कोलडैम जलाशय में ट्राउट का प्रयोग शुरू कर दिया है, जिसके तहत केजकल्चर के जरिए ट्राउट का उत्पादन किया जाएगा। अभी कसोल के पास जलाशय में 24 केज लगाकर 18000 बीज डाला गया है। खास बात यह है कि कोलडैम जलाशय के टैम्प्रेचर को ट्राउटपालन के लिए उपयुक्त पाया गया है।

ऐसे में जल्द ही ठंडे पहाड़ों की रानी ट्राउट कसोल से तत्तापानी तक कोलडैम जलाशय की लहरों पर तैरते हुए नजर आएगी। अभी तक ट्राउट मछली की प्रजाति प्रदेश के ऊपरी इलाकों में ही पल रही है। शिमला, कुल्लू, किन्नौर व चंबा इत्यादि जिलों में ट्राउट पालन किया जा रहा है। मत्स्य विभाग के फार्मों के अलावा निजी क्षेत्र में भी अब बड़े स्तर पर ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा रहा है। जब से बिलासपुर, मंडी शिमला व सोलन जिलों को छूने वाला कोलडैम अस्तित्व में आया है तो विभाग ने भी अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं, जिसके तहत मत्स्य सहकारी सभाओं के गठन के साथ ही हर साल कार्प प्रजाति की मछली बीज भी जलाशय में डाला जा रहा है।

ताजा स्थिति में विभाग ने कोलडैम में ट्राउट पालन को लेकर भी एक विशेष योजना बनाई है जिसके तहत पायलट टेस्टिंग के लिए केज कल्चर के तहत ट्राउट का ट्रायल किया जाएगा। इस बाबत विभाग ने कोलडैम में कसोल के पास दो दर्जन केज लगाए हैं जिसमें अठारह हजार बीज डाला गया है। हालांकि ट्राउट के लिए जलाशय उपयुक्त पाया गया है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो ऊपरी इलाकों में सर्दियों के दिनों टैम्प्रेचर 8 से 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिसमें मछली अधिक ग्रोथ नहीं कर पाती, जबकि कोलडैम जलाशय में 20 से 22 डिग्री तक टैम्प्रेचर रहता है।

ऐसे में मछली की ग्रोथ ज्यादा होगी और महज 10 से 12 दिनों में ही मछली ग्रोथ करेगी। क्योंकि 17 से 18 डिग्री सेल्सियस टैम्प्रेचर पर ही मछली ग्रोथ करना शुरू कर देती है। यहां बता दें कि कोलडैम से लेकर तत्तापानी तक लगभग चालीस किलोमीटर एक लंबी झील बन चुकी है जहां बड़े स्तर पर मछली पालन की संभावनाएं हैं। इसके लिए भी विभाग अलग से योजनाओं पर काम कर रहा है।

कार्प प्रजाति के अलावा विभाग ने कोलडैम में ट्राउट पालन को भी अनुकूल पाया है जिसके तहत ट्रायलबेस पर केज में ट्राउट मछली तैयार करने के लिए कवायद शुरू की है। मत्स्य निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि कुल्लू जिला के बंजार के पास स्थित हामणी फार्म से अठारह हजार ट्राउट मछली का बीज लाया गया है जिसे कोलडैम में पायलट टेस्टिंग के लिए डाला गया है। यदि टेस्टिंग सफल रहती है तो आगे से रेगुलर तत्तापानी तक ट्राउट मछली का पालन बड़े स्तर पर शुरू कर दिया जाएगा।

इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे। वैसे भी सरकार मत्स्यपालन के जरिए बेरोजगार युवाओं के लिए घरद्वार के पास ही रोजगार के विकल्प खोल रही है। उन्होंने बताया कि कोलडैम जलाशय को ट्राउट पालन के लिए अनुकूल पाया गया है जिसके तहत प्रायोगिक तौर पर 24 केज में ट्राउट मछली बीज तैयार किया जा रहा है।